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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा कि उनकी टैरिफ की धमकी के बाद यह संगठन टूट गया है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि वे डॉलर के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं, तो उन पर 150 फीसदी तक का टैरिफ लगाया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन की बैठक में बोलते हुए कहा कि ब्रिक्स देश मिलकर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की योजना बना रहे थे। उन्होंने कहा, “मैंने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही इन देशों को चेतावनी दी थी कि अगर किसी भी ब्रिक्स देश ने डॉलर के खिलाफ कोई कदम उठाया, तो अमेरिका उनके ऊपर भारी टैरिफ लगाएगा। हमें आपका सामान नहीं चाहिए।” ट्रंप ने दावा किया कि उनकी सख्त नीतियों की वजह से ब्रिक्स देश अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। उन्होंने कहा, “हमने ब्रिक्स के बारे में अब कुछ नहीं सुना है। मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ?”
यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को टैरिफ लगाने की धमकी दी है। जनवरी में भी उन्होंने यह बात दोहराई थी और 13 फरवरी को साफ तौर पर कहा था कि यदि ब्रिक्स देश डॉलर के मुकाबले किसी अन्य मुद्रा को अपनाने की कोशिश करेंगे, तो अमेरिका उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएगा। अब ट्रंप ने इस टैरिफ को 150 प्रतिशत तक बढ़ाने की चेतावनी दी है।
ब्रिक्स क्या है और क्यों है खास?
ब्रिक्स दुनिया का एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठन है, जिसमें वर्तमान में 10 देश शामिल हैं— ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात।
इसकी स्थापना 2006 में हुई थी और शुरुआत में इसमें सिर्फ ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसका नाम BRIC से BRICS हो गया। ब्रिक्स का मुख्यालय चीन के शंघाई शहर में स्थित है। यह संगठन आर्थिक सहयोग, व्यापार, वित्तीय नीतियों और वैश्विक शक्ति संतुलन पर काम करता है। ताकत के मामले में यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और प्रभावशाली आर्थिक संगठन है।
ब्रिक्स और डॉलर को लेकर विवाद क्यों?
ब्रिक्स देशों ने हाल ही में डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करने और एक नई वैश्विक मुद्रा विकसित करने की योजना पर चर्चा की थी। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देना था। कई देशों ने आपसी व्यापार में अपनी स्थानीय मुद्राओं का उपयोग शुरू कर दिया है।
अमेरिका को यह रणनीति पसंद नहीं आई और ट्रंप ने इसे डॉलर के लिए खतरा बताया। यही वजह है कि उन्होंने ब्रिक्स देशों पर कड़ा रुख अपनाया और टैरिफ की धमकी दी।
डोनाल्ड ट्रंप के दावों के बावजूद ब्रिक्स अब भी मजबूत बना हुआ है और इसमें कई नए देश जुड़ चुके हैं। हालांकि, अमेरिका का रुख इस संगठन के लिए बड़ी चुनौती बना रहेगा। अब देखना होगा कि ट्रंप की धमकियों का ब्रिक्स देशों पर क्या असर पड़ता है और क्या यह संगठन अमेरिकी दबाव का सामना कर पाएगा या नहीं।