![Vice-President of India](https://indiagramnews.com/wp-content/uploads/2025/02/GjQB-L4a4AAWIj3.jpeg)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा की किसान दाता है और उसे किसी की मदद का मोहताज नहीं होना चाहिए। चित्तौरगढ़ में अखिल मेवाड़ क्षेत्र जाट महासभा को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “किसान की आर्थिक व्यवस्था में जब उत्थान आता है तो देश की व्यवस्था में उद्धार आता है। बाकी किसान दाता है, किसान को किसी की ओर नहीं देखना चाहिए, किसी की मदद का मोहताज किसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि किसान के सबल हाथों में राजनीतिक ताकत है, आर्थिक योग्यता है।”
25 साल पहले हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “ मैं यहाँ 25 साल बाद आया हूँ, 25 साल पहले इसी जगह पर एक बहुत अच्छा काम हुआ था। सामाजिक न्याय की लड़ाई की शुरुआत की थी, जाट और कुछ जातियों को आरक्षण मिले। यह शुरुआत 1999 की थी, समाज के प्रमुख लोग यहाँ उपस्थित थे। मैं भी उनमें एक था। हमने इस पवित्र भूमि, देवनगरी, मेवाड़ के हरिद्वार में संरचना की, कार्यसिद्धि मिली और आज उसके नतीजे देश और राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में मिल रहे हैं। उसी आधार पर, उसी सामाजिक न्याय पर, उसी आरक्षण पर जिनको लाभ मिला है, आज वो सरकार में प्रमुख पदों पर हैं। उनको मेरा आग्रह रहेगा; पीछे मुड़कर जरूर देखें और कभी नहीं भूलें—इस समाज के सहयोग की वजह से, इस समाज के प्रयास की वजह से हमें सामाजिक न्याय मिला… जब भी कोई आंदोलन होता है, ख़ास तौर से आरक्षण से जुड़ा हुआ। लोग आतंकित हो जाते हैं, हिंसक हो जाते हैं, और कई दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। पर इस पावन भूमि पर मेरा सिर गौरव से ऊंचा है, छाती चौड़ी है, कि हमारा आंदोलन सामाजिक न्याय का दुनिया के लिए सबसे बड़ी मिसाल है। कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, कहीं कोई हिंसा नहीं हुई।”
किसान कृषि विज्ञान केंद्रों का लाभ ले , कृषि उत्पादों के व्यापार से जुड़े- उपराष्ट्रपति
किसानों से कृषि उत्पादों के व्यापार और मूल्य संवर्धन में अपनी भागीदारी बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा, “ किसान अपने उत्पाद की मूल्य वृद्धि क्यों नहीं कर रहा? अनेक व्यापार किसान के उत्पाद पर चालू हैं। आटा मिल, तेल मिल, अनगिनत हैं। अब मिलकर हमको करना चाहिए किसान को पशुधन की ओर ध्यान देना चाहिए। मुझे बड़ी खुशी होती है जब डेयरी बढ़ती है। ज्यादा उछाल आना चाहिए इसमें। हमें दूध तक सीमित नहीं रहना है, छाछ तक सीमित नहीं रहना है, दही तक सीमित नहीं रहना है। जितने उत्पाद दूध के बन सकते हैं, पनीर हो, आइसक्रीम हो, रसगुल्ला हो, किसान का योगदान होना चाहिए।”