रक्षा में आत्मनिर्भर भारत, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में भारत एक प्रमुख घटक रहा है!

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भारत के रक्षा क्षेत्र में 2014 से उल्लेखनीय परिवर्तन आया है, जो कि बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर सैन्य बल से विकसित होकर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर केंद्रित हो गया है। वैश्विक स्तर पर सबसे मजबूत सैन्य शक्तियों में से एक के रूप में भारत क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश का रक्षा बजट 2013-14 में ₹2,53,346 करोड़ था, जिसमे उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह 2024-25 में ₹6,21,940.85 करोड़ तक पहुँच गया है। यह देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता दर्शाता है। इस परिवर्तन का केंद्र भारत के रक्षा विनिर्माण उद्योग का विकास है, जो अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन गया है। “मेक इन इंडिया” पहल और नीति सुधारों के माध्यम से सरकार ने घरेलू उत्पादन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है और विदेशी खरीद पर निर्भरता कम की है। यह बदलाव रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में भारत के व्यापक दृष्टिकोण का एक प्रमुख घटक रहा है, जिसने देश को उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के उत्पादन के लिए एक उभरते केंद्र के रूप में स्थापित किया है। 

रक्षा उत्पादन

रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन एक रिकॉर्ड ऊंचाई 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से इसमें लगभग 174 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।

 

नई उपलब्धियाँ प्राप्त करनाभारत चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन में 1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

भविष्य के लिए दृष्टिकोण: भारत का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन में ₹3 लाख करोड़ तक पहुँचना है, जिससे वह वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो सके।

रक्षा निर्यात

रक्षा निर्यात में उछाल: भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2014-15 में ₹1941 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में ₹21,083 करोड़ हो गया है। यह निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।

साल-दर-साल मजबूत वृद्धि: पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में रक्षा निर्यात में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह  ₹15,920 करोड़ से बढ़कर हुई।

दशकीय वृद्धि: रक्षा निर्यात में 21 गुना वृद्धि हुई है, जो 2004-14 के दशक में ₹4,312 करोड़ से बढ़कर 2014-24 के दशक में ₹88,319 करोड़ हो गया है।

यह वैश्विक रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

वैश्विक पहुंच का विस्तारसरकारी नीतिगत सुधारोंव्यापार करने में आसानी की पहल और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित होकरभारत अब 100 से अधिक देशों को निर्यात करता है।

प्रमुख निर्यात गंतव्य: 2023-24 में भारत के रक्षा निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया थे।

महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है। यह भारत की विश्वसनीय वैश्विक रक्षा भागीदार बनने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।

विविधतापूर्ण निर्यात पोर्टफोलियो: भारत के निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज़ गति की इंटरसेप्टर नावें और हल्के टॉरपीडो जैसे उन्नत उपकरण शामिल हैं।

महत्त्वपूर्ण उपलब्धि: रूसी सेना के उपकरणों में ‘मेड इन बिहार’ बूटों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने वैश्विक रक्षा बाजार में भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को उजागर किया।

भारत के रक्षा क्षेत्र ने पिछले एक दशक में अभूतपूर्व प्रगति की है।

यह आत्मनिर्भरता और घरेलू विनिर्माण की दिशा में एक मजबूत नीतिगत कदम से प्रेरित है। रक्षा उत्पादन और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में देश की बढ़ती क्षमता को रेखांकित करती है। वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड ₹1.27 लाख करोड़ और निर्यात ₹21,083 करोड़ तक पहुँचने के साथ, भारत ने वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करते हुए आयात पर निर्भरता कम करने की अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।

देश का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड़ और निर्यात 50,000 करोड़ का है। ये उपलब्धियाँ दुनिया भर में एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार के रूप में भारत के उभरने को उजागर करती हैं। नवाचाररणनीतिक साझेदारी और स्वदेशी क्षमताओं का लाभ उठाकरभारत वैश्विक रक्षा विनिर्माण और सुरक्षा के भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अच्छी स्थिति में है।