रक्षा मंत्रालय ने 4,276 करोड़ रुपये के खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी

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रक्षा खरीद परिषद ने 4,276 करोड़ रुपये मूल्य के तीन रक्षा पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की, भारतीय सेना के लिए दो और भारतीय नौसेना हेतु एक प्रस्ताव को आवश्यकतानुसार मंजूरी दी गई। 

रक्षा मंत्रालय ने चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कुल 4,276 करोड़ रुपये की लागत से हेलिना एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल समेत तीन खरीद प्रस्तावों को मंगलवार को मंजूरी दी। खरीद प्रस्तावों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने मंजूरी दी। इनमें दो प्रस्ताव थल सेना के लिए थे और तीसरा भारतीय नौसेना के लिए था। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि डीएसी ने 4,276 करोड़ रुपये की लागत से तीन खरीद प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) को मंजूरी दे दी है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘डीएसी ने एओएन को हेलिना एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, लॉन्चर और संबंधित सहायक उपकरण की खरीद के लिए मंजूरी दे दी है, जिसे उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) में लगाया जाएगा।” यह मिसाइल दुश्मन के खतरों का मुकाबला करने के लिए एएलएच को हथियार से लैस करने की प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इसके शामिल होने से भारतीय सेना की लड़ाकू क्षमता मजबूत होगी।”

बयान में कहा गया है कि डीएसी ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकास के तहत वीएसहोराड मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर एओएन को भी मंजूरी दी है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘उत्तरी सीमाओं पर हाल के घटनाक्रम के मद्देनजर प्रभावी वायु रक्षा हथियार प्रणालियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिसे दुर्गम इलाकों और समुद्री क्षेत्र में तेजी से तैनात की जा सकती हैं।

मंत्रालय ने कहा कि वीएसहोराड की खरीद, एक मजबूत और शीघ्रता से तैनात करने योग्य प्रणाली के रूप में, वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी। बयान में कहा गया, ‘‘इसके अलावा, डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए शिवालिक वर्ग के जहाजों और अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों (एनजीएमवी) के संबंध में ब्रह्मोस लॉन्चर तथा फायर कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) की खरीद को मंजूरी दे दी है।” मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन साजो सामान के शामिल होने से इन जहाजों में समुद्री हमले को अंजाम देने, दुश्मन के युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों को नष्ट करने की क्षमता बढ़ जाएगी।”