भारत में विकसित हल्के लड़ाकू विमान (LCH) आज वायु सेना का हिस्सा बन गया। इन स्वदेशी निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) का नाम ‘प्रचंड’ रखा गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की जरूरत को गंभीरतापूर्वक अनुभव किया गया था।
भारत में विकसित हल्के लड़ाकू विमान (LCH) आज वायु सेना का हिस्सा बन गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, CDS जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी की उपस्थिति में जोधपुर एयरबेस में हुए एक कार्यक्रम में इन हेलिकॉप्टरों को औपचारिक रूप से वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया। इन स्वदेशी निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) का नाम ‘प्रचंड’ रखा गया है।
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, आज भारतीय वायु सेना में देश की प्रथम स्वदेशी LCH का आगमन हो रहा है। प्रचंड शक्ति, प्रचंड वेग और प्रचंड प्रहार की क्षमता वाले इस LCH का आगमन हमारी वायु सेना की क्षमताओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, राष्ट्र की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आने वाले समय में जल्द ही दुनिया में सेना की ताकत समेत जब भी सुपर पावर की बात होगी तो भारत सबसे पहले गिना जाएगा
नाम है ‘प्रचंड’ pic.twitter.com/dCa3WGvw9A
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 3, 2022
राजनाथ सिंह ने कहा, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की जरूरत को गंभीरतापूर्वक अनुभव किया गया। तब से लेकर अब तक की यानी दो दशकों की देश की अनुसंधान एवं विकास का प्रतिफल एलसीएच है। भारतीय वायु सेना में इसके शामिल होने से हमारे रक्षा उत्पादन की राह में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा, आज LCH का आगमन इस बात का प्रतीक है कि देश जितना भरोसा भारतीय वायु सेना पर करता है,
भारतीय वायु सेना भी उतना ही भरोसा स्वदेशी साजो-सामान पर करती है। आजादी से लेकर अब तक भारत की संप्रभुता को सुरक्षित रखने में भारतीय वायु सेना की बड़ी शानदार भूमिका रही है।आंतरिक खतरे हों या बाहरी युद्ध हो, भारतीय वायु सेना ने सदैव अपने अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान की है।