मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव फेंक दिया है। सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए शिक्षण संस्थानों एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद से जहां एक ओर यह बहस छिड़ गई है कि इस आरक्षण का रूप क्या होगा वहीं अब बड़ा सवाल यह भी है कि क्या और कैसे लागू होगा।
सरकार इस आरक्षण को लागू करने के लिए मंगलवार को संसद में संशोधन विधेयक पेश करेगी। इसे संसद में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत पेश करेंगे। यहां यह बता देना जरूरी है कि सरकार के इस फैसले से एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की पुरानी व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी।
सूत्रों के मुताबिक EWS कैटेगरी भी स्पष्ट कर दी गई है। यानी आरक्षण का फायदा किसे मिलेगा, इसका भी निर्धारण कर दिया गया है।
अभी क्या है आरक्षण की व्यवस्था
अभी सरकारी नौकरियों में फिलहाल 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। इससे अधिक आरक्षण के लिए सरकार को मौजूदा आरक्षण कानून में संशोधन करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है। सरकार ने 10 फीसदी ईबीसी (आर्थिक रूप से पिछड़ा) कोटा का प्रस्ताव किया है।
कैबिनेट के सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले से पहले अनुसूचित जाति (एससी) को 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 7.5 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है।
आरक्षण के दायरे में ये सवर्ण आएंगे
-आठ लाख से कम आमदनी हो।
-कृषि भूमि 5 हेक्टेयर से कम हो।
-घर है तो 1000 स्क्वायर फीट से कम हो।
-निगम में आवासीय प्लॉट है तो 109 यार्ड से कम जमीन हो।
-निगम से बाहर प्लॉट है तो 209 यार्ड से कम जमीन हो।