गुमनाम है कोई बदनाम है कोई, किसको ख़बर कौन है वो अनजान है कोई…..फिल्म का यह गाना सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं भूतों का नाम सुनते ही रुह कांप जाती है। दिल कहता है ऐसी शक्तियां मौजूद हैं और दिमाग उनके अस्तितव को लगातार नकारता रहता है। लेकिन आज भी कुछ ऐसी जगहें हैं जहां ऐसी शक्तियों को महसूस किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं दिल्ली की उन जगहों के बारे में जिनके बारे में माना जाता है की यहाँ पर आज भी भूतों, आत्माओं या कोई अदृश्य शक्तियो का निवास है। इन जगहों पर रात में जाने की हिम्मत बहुत कम लोग ही जुटा पाते है।
दिल्ली कंटोनमेंट
दिल्ली कंटोनमेंट जिसे कि सामान्यतया दिल्ली कैंट भी कहा जाता है कि स्थापना ब्रिटिश – इंडियन आर्मी ने कि थी। यह पूरा इलाका एक छोटे से जंगल की तरह दिखाई देता है। कहा जाता है कि दिल्ली कैंट में सफेद लिबाज पहने एक महिला लोगों से लिफ्ट मांगती है। अगर आप आगे निकल जाते हैं तो यह महिला कार के जितना तेज भाग कर पीछा करती है। दिल्ली कंटोनमेंट को उस महिला का घर मना जाता है जिसकी मृत्यु इसी इलाके में एक रोड एक्सीडेंट में हुई थी। बहुत से लोगो ने उसको यहां देखे जाने की पुष्टि की है।
फिरोज शाह कोटला किला
यह किला 1354 में फिरोज शाह तुगलक द्वारा बनवाया गया यह किला आज खंडहर हो चुका है। आसपास की लोगों की मानें तो हर गुरुवार यहां मोमबत्तियां और अगरबत्ती जलती दिखती है। और तो और, अगले दिन किले के कुछ हिस्सों में कटोरे में दूध और कच्चा अनाज भी रखा मिलता है। ऐसा अक्सर होता रहा है, जिसके चलते किले की पहचान अब भूतों के किले के रूप में होने लगी है।
खूनी नदी, रोहिणी
रोहिणी के कम शोर गुल वाले इस इलाके में यूं भी कम लोग आते हैं। नदी के आसपास कोई नहीं जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस नदी में जाता है ये नदी उसे अपनी रहस्यमयी शक्तियों से लील लेती है। कई लोगों ने इसमें जाने के बाद अपनी जान गंवा दी है। जो बाद में आत्महत्या जैसा लगता है। इसका कारण आजतक लोगों को पता नहीं चल सका है। हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना कारण चाहे जो हो, यहां नदी किनारे लाशें मिलना आम बात हो गई है। यही कारण है कि लोग इसे डरावनी जगहों में शुमार करते हैं।
मालचा महल
मलचा महल मलचा गांव में स्थित है। ये दिल्ली अर्थ स्टेशन के पास बिस्तारी रोड, सरदार पटेल मार्ग, नई दिल्ली-21 में पड़ता है। यह महल जंगलों से घिरा हुआ जिसे दिल्ली की चोटी कहते हैं। असल में यह तुगलक काल में शिकार करने की जंगल थी और अब इसके रहस्यमयी होने की वजह के बारे में बहुत कम जानकारी है। लेकिन घने जंगलों से काफी करीब होने के कारण आप यहां जितना डरावना महसूस करेंगे उतना शायद और कहीं नहीं।
भूली भतियारी का महल, झंडेवालान
यह महल किसी ज़माने में तुगलक वंश का शिकारगाह हुआ करता था। इस महल का नाम “भूली भतियारी”, इसकी देखभाल करने वाली महिला के नाम पर पड़ा है। अंधेरा होना के बाद यहां परिंदा भी पर नहीं मारता। अक्सर सुनाई देने वाली अजीबोगरीब आवाजें यहां माहौल को और डरावना बना देते हैं।
संजय वन
संजय वन दिल्ली में 10 किलोमीटर तक फैला है और इसे दिल्ली का ग्रीन लंग भी माना जाता है। लेकिन एक बहुत बड़ा ठप्पा जो इस पर लगा है वो है भूतिया वन होने का। इसका कारण है यहां बने बहुत सारे मजार और कब्रें। इसके साथ ही किला राय पिथोरा के टूटे अवशेष भी यहां मौजूद हैं। कई लोगों ने यहां रोते बिलखते बच्चों की आवाज सुनने की बात कही है जो इसके अस्तित्व में आने के बाद से ही है।
करबला कब्रिस्तान
फिल्मी कब्रिस्तान की तरह यहां भी साये दिखने और उनकी हरकतों के गवाह है आसपास के लोग। करबला का कब्रिस्तान बीके दत्त कॉलोनी में स्थित है, जहां ताजिए दफनाए जाते हैं। अगर आप इस जगह पर शाम के वक्त जाते हैं तो यहां पसरी खामोशी और वातावरण आपके रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है।