वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास, अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और नौसेना पदक (एनएम) ने 31 दिसंबर, 23 को कोच्चि के नौसेना बेस में आयोजित एक प्रभावशाली औपचारिक परेड में दक्षिणी नौसेना कमान के 30वें फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एफओसीआईएनसी) के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली, पीवीएसएम, एवीएसएम, एनएम के स्थान पर ये पदभार ग्रहण किया है, जो भारतीय नौसेना में लगभग चार दशकों के शानदार करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए है। इस अवसर पर दोनों फ्लैग अधिकारियों ने देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले कर्मियों को श्रद्धांजलि दी और वेंदुरूथी युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।
वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने 01 जुलाई 1987 को भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त किया था। पनडुब्बी रोधी युद्ध विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने अग्रिम पंक्ति की पनडुब्बियों आईएनएस शाल्की, आईएनएस शिशुमार और आईएनएस शंकुल (ऑपरेशन विजय के दौरान) पर अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने 36 साल के करियर में दो अवसरों पर आईएनएस शंकुल को विध्वंसक आईएनएस रणवीर और परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र की कमान सौंपी है। वे भारतीय नौसेना के उन दो गौरवशाली अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने फ्रंटलाइन युद्धपोत के साथ-साथ परमाणु-संचालित आक्रमण पनडुब्बियों (एसएसएन) की कमान संभाली है।
उन्होंने सीओएमसीओएस (डब्ल्यू) में पनडुब्बी कमांडर, फ्लैग ऑफिसर पनडुब्बियों के चीफ स्टाफ ऑफिसर, प्रिंसिपल डायरेक्टर शिप सिस्टम एंड डेवलपमेंट (पीडीएसएसडी) और पनडुब्बी प्रशिक्षण प्रतिष्ठान के कमांडिंग ऑफिसर, आईएनएस सातवाहन का नेतृत्व किया है। वे वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज और गोवा में नेवल वॉर कॉलेज से स्नातक हैं, उन्हें सीडीएम सिकंदराबाद में सीआईएनसी के रजत पदक और वरिष्ठ रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम (एसडीएमसी) से सम्मानित किया गया था। उनके पास ऑपरेशन पवन, विजय और पराक्रम में भाग लेने और परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ उत्कृष्ट और विविध परिचालन अनुभव है।
फ्लैग ऑफिसर के रूप में, उन्होंने फ्लैग ऑफिसर पनडुब्बियों (एफओएसएम), फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग महाराष्ट्र नौसेना क्षेत्र (एफओएमए), परियोजना निदेशक (संचालन और प्रशिक्षण), मुख्यालय एटीवीपी के रूप में कार्य किया है। वे 31 दिसंबर 23 को फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में पदभार संभालने से पहले महानिरीक्षक परमाणु सुरक्षा (आईजीएनएस) के पद पर तैनात थे। उन्हें 2009 में नौसेना पदक (एनएम) और 2021 में अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) से सम्मानित किया गया था।