
उत्तराखंड के विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को आज से इस वर्ष के लिए बंद कर दिया गया है। हर साल की तरह इस बार भी घाटी को सर्दियों की शुरुआत के साथ ही पर्यटकों के लिए बंद किया गया है। अब घाटी अगले वर्ष जून महीने में फिर से अपने द्वार खोलेगी।
पर्यटकों की संख्या में कमी
वन विभाग के अनुसार, इस साल 1 जून से 31 अक्टूबर तक खुले रहने के दौरान घाटी में करीब 18 हजार पर्यटक पहुंचे, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 25 हजार से अधिक थी। अधिकारियों का कहना है कि पर्यटकों में कमी का कारण मौसम की अनिश्चितता, भूस्खलन और आवासीय सुविधाओं की सीमित उपलब्धता है।
विश्व धरोहर स्थल की अनोखी खूबसूरती
चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी अपनी रंग-बिरंगी वनस्पतियों, दुर्लभ फूलों और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थल का दर्जा दिया था। हर साल मानसून के दौरान यहां सैकड़ों प्रजातियों के जंगली फूल खिलते हैं, जो पूरी घाटी को रंगों और खुशबुओं से भर देते हैं।
सर्दियों में प्रवेश पर रोक
वन विभाग ने बताया कि घाटी को अब पूरी तरह से सील कर दिया गया है, ताकि बर्फबारी के दौरान वहां के वन्यजीवों और वनस्पतियों को संरक्षित रखा जा सके। नवंबर से मई तक पर्यटकों का प्रवेश पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा।
राजस्व में गिरावट, अगले सीजन की तैयारी
इस पर्यटन सीजन में घाटी से करीब 12 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है। विभाग ने अगले वर्ष पर्यटक सुविधाओं के विकास और प्रचार-प्रसार को बढ़ाने की योजना बनाई है, ताकि आने वाले सीजन में अधिक सैलानी आकर्षित किए जा सकें।
स्थानीय लोगों की राय
प्रकृति प्रेमियों और स्थानीय गाइडों का कहना है कि घाटी की लोकप्रियता बनाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। उनका मानना है कि घाटी की सुंदरता को बरकरार रखते हुए पर्यटन को जिम्मेदार और सतत तरीके से बढ़ावा देना चाहिए।
अगले वर्ष जून में जब फिर से फूलों की घाटी खुलेगी, तब प्रकृति प्रेमी एक बार फिर हिमालय की गोद में रंगों और खुशबुओं की जादुई दुनिया का आनंद ले सकेंगे।













