उत्तराखंड के बिजली तंत्र की साइबर सुरक्षा होगी और मजबूत, यूपीसीएल की 31.85 करोड़ की परियोजना को सशर्त मंजूरी

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उत्तराखंड में बिजली ढांचे को साइबर हमलों से सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) की साइबर सुरक्षा और जीआईएस आधारित अपग्रेडेशन परियोजना को सशर्त मंजूरी दे दी है। यह निर्णय बढ़ते साइबर खतरों और आगामी स्मार्ट ग्रिड आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विशेष परिस्थिति में लिया गया है।

आयोग ने यूपीसीएल की 31.85 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी देते हुए स्पष्ट किया कि यह स्वीकृति भविष्य में किसी भी मामले के लिए मिसाल नहीं होगी। आयोग ने पैकेज में शामिल 11.80 लाख रुपये के ऑपेक्स हिस्से को हटाकर कुल 31.85 करोड़ रुपये की राशि को ही मान्य किया है। सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा और सदस्य तकनीकी प्रभात किशोर डिमरी मौजूद रहे। तीनों सदस्यों ने यूपीसीएल को चेतावनी दी कि सभी नियमों और दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन अनिवार्य होगा।

परियोजना के अंतर्गत 19.50 करोड़ रुपये की लागत से साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत किया जाएगा। इसमें वेब और ई-मेल सिक्योरिटी के उन्नयन, नए सर्वरों की स्थापना और साइबर सुरक्षा नीतियों के विकास जैसे अहम कार्य शामिल हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यूपीसीएल की स्काडा और वितरण प्रणाली को ‘क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर’ घोषित किया जा चुका है, ऐसे में सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इसके अलावा, बड़े डिस्प्ले स्क्रीन, डेटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर के लिए 74 लाख रुपये की लागत से सर्वर रैक खरीदने की भी मंजूरी दी गई है। आयोग का कहना है कि डिजास्टर रिकवरी सेंटर को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह आपात स्थितियों में बिजली ढांचे का महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच बनता है।

नियामक आयोग ने यूपीसीएल पर कई सख्त शर्तें भी लागू की हैं —

  • एल-1 विक्रेता से कीमतों में और कमी कराने का प्रयास,
  • आईटीडीए, सर्ट-इन और सीईए के सभी निर्देशों का अनुपालन,
  • नियमित वीएपीटी परीक्षण, साइबर ड्रिल और कर्मचारियों का प्रशिक्षण,
  • सभी एसेट्स की 100% जीआईएस मैपिंग,
  • एक माह के भीतर परियोजना फंडिंग की उपलब्धता का प्रमाण,
  • और परियोजना पूर्ण होने पर विस्तृत कंप्लीशन रिपोर्ट सौंपना।

इस सशर्त मंजूरी के साथ राज्य में बिजली ढांचे की साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने का रास्ता साफ हो गया है। उम्मीद है कि इस परियोजना के पूर्ण होने पर उत्तराखंड किसी भी संभावित साइबर हमले या डेटा जोखिम का मुकाबला और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकेगा।