2 नवंबर को मनाया जाएगा तुलसी विवाह, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

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कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। यह पर्व भगवान विष्णु के चार महीने बाद योग निद्रा से जागने के उपरांत, एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 नवंबर सुबह 7 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर 3 नवंबर सुबह 5 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। शुभ मुहूर्त के अनुसार, इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा।

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त तुलसी माता और भगवान शालिग्राम (विष्णु स्वरूप) का विवाह कराते हैं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम की वृद्धि होती है। वहीं, अविवाहित कन्याओं को इस दिन व्रत और पूजा करने से मनचाहा वर प्राप्त होता है।

तुलसी विवाह से मिलता है कन्यादान का पुण्य

तुलसी विवाह में तुलसी माता का शालिग्राम भगवान से विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है — उन्हें लाल साड़ी, चुनरी और गहनों से श्रृंगारित किया जाता है। तुलसी के पास पवित्र स्थान पर शालिग्राम को आसन पर विराजमान कर विवाह विधि-विधान से संपन्न कराई जाती है। पूजा के बाद तुलसी माता की आरती करना शुभ माना गया है।

तुलसी विवाह की पूजा विधि

  • घर में तुलसी के पौधे के पास सफाई कर उसे सजाएं।
  • तुलसी जी को चूड़ी, चुनरी, साड़ी और श्रृंगार के सामान अर्पित करें।
  • पौधे के दाहिनी ओर भगवान शालिग्राम को स्थापित करें।
  • तुलसी और शालिग्राम दोनों को गंगाजल से स्नान कराकर चंदन और रोली से तिलक करें।
  • फिर मिठाई और फल का भोग लगाकर विवाह संपन्न करें।

इस प्रकार विधि-विधान से तुलसी विवाह करने से घर में शांति, सौभाग्य और समृद्धि आती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक आस्थाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी प्रदान करना है। indiagramnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।