
सर्दियों के मौसम में लोगों के बीच पुराने आयुर्वेदिक नुस्खे एक बार फिर लोकप्रिय हो रहे हैं। इनमें से एक है नाभि में सरसों का तेल लगाना—जो भारतीय परंपरा में वर्षों से अपनाया जाता रहा है। आयुर्वेद के अनुसार यह उपाय न केवल शरीर को भीतर से पोषण देता है, बल्कि कई तरह की मौसमी समस्याओं में भी राहत पहुंचा सकता है। सरसों का तेल अपनी गर्म तासीर, एंटीबैक्टीरियल गुण और ओमेगा–3 फैटी एसिड की मौजूदगी के कारण शरीर के वात और कफ को संतुलित करने में सहायक माना जाता है।
त्वचा को नमी और ग्लो देता है सरसों का तेल
आयुर्वेद के अनुसार नाभि हमारे शरीर की कई सूक्ष्म नाड़ियों से जुड़ी होती है। ऐसे में नाभि में सरसों का तेल लगाने से उसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा तक पोषण पहुंचाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चेहरे और होंठों का रूखापन कम हो सकता है, और त्वचा अधिक मुलायम और ग्लोइंग दिखाई देती है। यह सर्दियों में होने वाली ड्राइनेस से राहत देने का एक प्राकृतिक तरीका माना जाता है।
होंठ फटने की समस्या में भी मिलती है राहत
सर्दियों में होंठ फटना आम बात है। हालांकि लोग आमतौर पर लिप बाम का सहारा लेते हैं, लेकिन नाभि में सरसों का तेल लगाने को एक घरेलू उपाय के रूप में देखा जाता है, जो शरीर की नमी को संतुलित रखने में मदद करता है। माना जाता है कि इससे होंठों की ड्राइनेस कम होती है और उनका फटना काफी हद तक रुक जाता है।
पाचन क्रिया को दे सकता है मजबूती
सरसों के तेल की गर्म तासीर पेट की मांसपेशियों को आराम देती है। कई लोगों के अनुभव बताते हैं कि नाभि में सरसों का तेल लगाने से गैस, पेट फूलने और हल्की अपच जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है। हालांकि इस दावे का वैज्ञानिक प्रमाण अभी उपलब्ध नहीं है, पर आयुर्वेद में इसे उपयोगी माना जाता है।
मासिक धर्म के दर्द में लाभदायक
पीरियड्स के दौरान पेट में होने वाले दर्द में भी सरसों का तेल सहायक माना गया है। नाभि में तेल लगाने से पेट के आसपास रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे दर्द में हल्की राहत महसूस हो सकती है। कई आयुर्वेद विशेषज्ञ पेट पर सरसों के तेल की हल्की मालिश की भी सलाह देते हैं।
बेहतर नींद में भी मददगार
सर्दियों में शरीर जल्दी ठंड पकड़ लेता है, जिससे नींद प्रभावित हो सकती है। सरसों का तेल लगाने से शरीर में हल्की गर्माहट पैदा होती है, जो अच्छी नींद लाने में मदद करती है। यह उपाय खासतौर पर उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो ठंड के मौसम में अनिद्रा की समस्या से परेशान रहते हैं।













