
देश में संक्रामक रोगों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से प्राप्त ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में हर नौवां भारतीय किसी न किसी संक्रामक रोग से संक्रमित हुआ है। विशेषज्ञों ने इसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की चेतावनी बताते हुए कहा है कि यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टाइफाइड, श्वसन संक्रमण और क्षयरोग (टीबी) जैसे रोगों के मामले इस साल बीते वर्षों की तुलना में काफी तेजी से बढ़े हैं। खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण, गंदगी, जलजमाव और अनियमित जीवनशैली इन बीमारियों के फैलाव के प्रमुख कारण बन रहे हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अब संक्रमणजनित बीमारियां सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि महानगरों और अर्धशहरी क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रही हैं। कई शहरों में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “संक्रामक रोगों के बढ़ने की प्रमुख वजह स्वच्छता मानकों में गिरावट, बदलता मौसम चक्र, जलभराव और अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतें हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार ने रोग निगरानी तंत्र को सशक्त बनाने, वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि संक्रमण से निपटने के लिए सामुदायिक जागरूकता और व्यक्तिगत स्वच्छता बेहद जरूरी है। डॉक्टरों के अनुसार, हाथ धोने की आदत, स्वच्छ पानी का उपयोग, समय पर टीकाकरण और शुरुआती लक्षणों की अनदेखी न करना संक्रमण की रोकथाम के सबसे प्रभावी उपाय हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने और रोकथाम के उपायों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में संक्रमणजनित बीमारियां देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ बन सकती हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें और किसी भी संक्रामक बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।













