एक बार फिर छिड़ेगी स्पेक्ट्रम वार, जानें रिलायंस जियो का नया प्लान

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भारत में चुनाव के बाद एक बार फिर से स्पेक्ट्रम वार देखने को मिल सकती हैं.देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. कंपनियों ने आगामी नीलामी में हिस्रिसा लेने के लिए एडवांस राशि जमा कर दी है. रिलायंस जियो की जमा राशि सबसे ज्यादा 3,000 करोड़ रुपए है. यह भारती एयरटेल के 1,050 करोड़ रुपए से तीन गुना और वोडाफोन आइडिया के 300 करोड़ रुपए से 10 गुना अधिक है. यह कुल मिलाकर 4,350 करोड़ रुपए है.

रिलायंस जियो के पास बिक्री पर स्पेक्ट्रम के कुल मूल्य का 36,000 करोड़ रुपए या 37.4% तक खर्च करने का विकल्प है. एयरटेल 12,500 करोड़ रुपए या स्पेक्ट्रम के कुल मूल्य का 13% तक खर्च कर सकती है. जबकि वोडाफोन आइडिया 3,600 करोड़ रुपए तक खर्च कर सकती है. EMD के आधार पर जियो को 21,363 एलिजिबिलिटी पॉइंट्स, एयरटेल को 7,613 एलिजिबिलिटी पॉइंट्स और वोडाफोन आइडिया को 2,200 पॉइंट्स मिले हैं. हालांकि, EMD का मतलब यह नहीं है कि बोली लगाने वाले को नीलामी में अपने सभी पॉइंट्स को अनिवार्य रूप से खत्म करना होगा.

स्पेक्ट्रम की कीमत

नीलामी के लिए 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में कुल 10,523.15 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम रखा गया है. इसकी कुल कीमत 96,317.65 करोड़ रुपए है.

जुलाई 2022 5जी नीलामी के आकड़ें

जुलाई 2022 में आयोजित 5G नीलामी में, दूरसंचार विभाग (DoT) को 21,800 करोड़ रुपए की EMD प्राप्त हुई और इसका कुल कलेक्शन 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था
पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी में, रिलायंस जियो ने 4जी/5जी स्पेक्ट्रम के लिए 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए. इसके बाद भारती एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.