हरियाणा में विकास की गति बढ़ रही है, इसका सबूत पिछले 8 वर्षों में प्रदेश में वाहनों की तेजी से बढ़ी संख्या खुद-ब-खुद बयां कर रही है। हालांकि, जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहन पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हैं और गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा करते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन्हीं सब परिस्थितियों को समझा और राज्य में वैकल्पिक स्वच्छ व पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को लागू करने की प्रतिबद्धता दिखाई। उन्होंने अधिकारियों को प्रदेश में इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए। असर यह हुआ कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने 8 जुलाई 2022 को ‘हरियाणा इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी-2022’ अधिसूचित भी कर दी है।
हरियाणा में इलेक्ट्रिक-वाहनों की बढ़ेगी ‘सेल-स्पीड’
मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों पर तैयार की गई इस पॉलिसी से राज्य में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रिक-वाहनों की ‘सेल-स्पीड’ बढ़ने की पूरी उम्मीद है। सरकार द्वारा जहां लोगों को इलेक्ट्रिक-वाहनों के प्रयोग हेतु जागरूक किया जा रहा है,वहीं इलेक्ट्रिक-वाहन निर्माता कंपनियों के लिए विशेष छूट का ‘बोनांजा’ बनाया गया है ताकि वे भी पर्यावरण-अनुकूल वाहन बनाने के लिए प्रेरित हो सकें। केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2015 में ‘द फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम) स्कीम भी शुरू की थी, जिसे बाद में वर्ष 2019 में देश में पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान’ के तहत आगे बढ़ा दिया गया है। हरियाणा सरकार ने भी केंद्र सरकार की बेहतरीन नीति का समर्थन करते हुए अपनी पॉलिसी ‘हरियाणा इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी-2022’ बनाई है।
इलेक्ट्रिक-व्हीकल निर्माताओं के लिए क्या है ‘बोनांजा’
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में इलेक्ट्रिक-वाहन के निर्माताओं को अपने उद्योग स्थापित करने व पहले से स्थापित उद्योग को इलेक्ट्रिक-वाहन निर्माण के लिए परिवर्तन करने हेतु कई छूट देने की पॉलिसी में योजना बनाई है ताकि अधिक से अधिक निर्माता हरियाणा की ओर उद्योग लगाने के लिए आकर्षित हो सकें।
राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक-वाहन बनाने, इन वाहनों की बैटरी, उपकरण व चार्जिंग स्टेशन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने आदि से संबंधित उद्योग लगाने वालों को भी पॉलिसी में विशेष ‘बोनांजा’ दिया है। इनको पॉलिसी के अनुसार किसी यूनिट में लगने वाली ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ में से कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। हरियाणा सरकार की ‘हरियाणा इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी-2022’ के अनुसार राज्य में ‘माइक्रो इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 20 इकाइयों को ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ की 25 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रूपए, जो भी कम होगा, की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी।
इसी प्रकार, ‘स्मॉल इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 10 इकाइयों को ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 40 लाख रूपए, जो भी कम होगा, ‘मिडियम इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 5 इकाइयों को ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख रूपए, जो भी कम होगा, की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। ‘लार्ज इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 2 इकाइयों को ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ की 10 प्रतिशत या अधिकतम 10 करोड़ रूपए, जो भी कम होगा तथा ‘मेगा इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 3 इकाइयों को ‘फिक्सड कैपिटल इन्वेस्टमैंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रूपए, जो भी कम होगा, की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। छूट के लिए उक्त उद्योगों के इन वाहनों में दोपहिया, तिपहिया,चार-पहिया, बस/हैवी व्हीकल शामिल हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि राज्य सरकार का उद्देश्य इस नीति के माध्यम से पर्यावरण को बेहतर बनाना तथा कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है। उन्होंने बताया कि ‘हरियाणा इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी-2022’ का उद्देश्य राज्य के नागरिकों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्रेरित करने में योगदान देना भी है। हम चाहते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण के लिए हरियाणा प्रदेश वैश्विक केंद्र बने ताकि यहां अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हों।