
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का ऐतिहासिक शताब्दी वर्ष विजयदशमी उत्सव रविवार को नागपुर मुख्यालय में धूमधाम और अनुशासन के साथ प्रारंभ हुआ। इस विशेष अवसर पर संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य मंच पर उपस्थित रहे। दोनों गणमान्य हस्तियों की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातःकालीन शाखा और पथ संचलन से हुई। हजारों स्वयंसेवकों ने परंपरागत गणवेश में अनुशासित कदमताल करते हुए शक्ति और एकता का प्रदर्शन किया। वाद्ययंत्रों की गूंज और भगवा ध्वज के साथ पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगा नजर आया।
मुख्य मंच पर शस्त्र पूजन की परंपरागत विधि संपन्न होने के बाद सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संघ का शताब्दी वर्ष न केवल संगठन बल्कि पूरे समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण है। भागवत ने आगामी सौ वर्षों के लिए राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा का संकल्प और दृढ़ करने का आह्वान किया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस अवसर पर संघ के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने समाज में सेवा, अनुशासन और राष्ट्रहित की भावना को मजबूत करने का कार्य किया है, जो देश के भविष्य के लिए प्रेरणादायक है।
इस ऐतिहासिक आयोजन में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, नागरिक समाज और देशभर से आए अतिथि शामिल हुए। पूरा समारोह कड़े सुरक्षा प्रबंधों और प्रशासनिक सहयोग के बीच सम्पन्न हुआ।
उल्लेखनीय है कि संघ का विजयदशमी उत्सव हर वर्ष नागपुर में परंपरागत रूप से मनाया जाता है, लेकिन इस बार शताब्दी वर्ष होने के कारण इसका महत्व और भव्यता दोनों ही और बढ़ गए हैं। आने वाले महीनों में संघ देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों के जरिए अपने शताब्दी वर्ष का उत्सव मनाएगा।