उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारी तेज़, मई के अंत में हो सकते हैं

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उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर राज्य के अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मई के आखिर में कराए जाने की संभावना है। सरकार ने इसकी व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं और इस दिशा में अहम कदम उठाते हुए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन हेतु अध्यादेश लाने को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है।

ओबीसी आरक्षण तय करेगा नया अध्याय

पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को लेकर बड़ा बदलाव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पंचायतों में ओबीसी आरक्षण के नए सिरे से निर्धारण के लिए राज्य सरकार ने एकल समर्पित आयोग का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। अब अध्यादेश के माध्यम से इस रिपोर्ट को कानूनी जामा पहनाया जाएगा।

पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षण की 14 प्रतिशत सीमा निर्धारित थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। आरक्षण अब 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर तय किया जाएगा, और यह कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। यदि किसी पंचायत में अनुसूचित जाति व जनजाति को मिलाकर आरक्षण 50% हो चुका है, तो वहां ओबीसी को अतिरिक्त आरक्षण नहीं मिलेगा।

दो बच्चों की शर्त पर स्पष्टता

अध्यादेश में पंचायत चुनावों के लिए दो बच्चों की शर्त को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। यह तय किया गया है कि यदि किसी उम्मीदवार के 25 जुलाई 2019 से पहले दो से अधिक बच्चे हुए हैं, तो वह पंचायत चुनाव लड़ सकता है। लेकिन इस तारीख के बाद जन्मे तीसरे बच्चे की स्थिति में उम्मीदवार अयोग्य माना जाएगा।

राज्य के शेष 12 जिलों की पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद दिसंबर 2024 में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई थी। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन, परिसीमन, मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे अहम कार्य पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।

गौरतलब है कि हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर होते हैं, जो राज्य गठन के समय से ही प्रचलन में है। इसलिए वहां पंचायत चुनाव बाद में आयोजित किए जाएंगे। पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने पुष्टि करते हुए कहा कि, “राज्य सरकार मई में पंचायत चुनाव कराने को पूरी तरह तैयार है। जैसे ही अध्यादेश को राजभवन की स्वीकृति मिलती है, ओबीसी आरक्षण समेत अन्य औपचारिकताओं को पूरा कर चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है।”