
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में आपातकाल लागू होने की 50वीं बरसी पर उस दौर को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय करार दिया। उन्होंने इसे “संविधान हत्या दिवस” बताते हुए उस समय के हालात को याद किया जब लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाता है।
उन्होंने लिखा कि उस समय मौलिक अधिकारों को निलंबित, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई और हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। प्रधानमंत्री ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने और सत्ता में बने रहने के लिए संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।
लोकतंत्र के रक्षकों को किया नमन
पीएम मोदी ने आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों को सलाम करते हुए कहा कि, देश के अलग-अलग हिस्सों और विचारधाराओं से आए लोगों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष किया। उनके साहस और बलिदान ने यह सुनिश्चित किया कि सरकार को चुनाव कराने पड़े और वह बुरी तरह हार गई।
उन्होंने युवाओं को लोकतंत्र की रक्षा के लिए संविधान के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने का आह्वान किया और कहा कि, हमें एक विकसित भारत के निर्माण में सामूहिक रूप से योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के जीवन के उस दौर को दर्शाने वाली पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज – इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ का भी आज विमोचन किया जा रहा है। यह पुस्तक आपातकाल के दौरान मोदी के अनुभवों और उनके साथियों की भूमिका पर आधारित है। पुस्तक का विमोचन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा द्वारा लिखी गई प्रस्तावना भी शामिल है।