प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय गुजरात दौरे पर, 82,950 करोड़ की परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन और शिलान्यास

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिवसीय गुजरात दौरे पर रहेंगे, जिसमें वे राज्य के तीन प्रमुख शहरों भुज, दाहोद और गांधीनगर में 82,950 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। यह दौरा राज्य में बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, शहरी विकास और रेलवे क्षेत्र में बड़े निवेश और विकास की नींव रखेगा।

भुज में 53,414 करोड़ रुपये की परियोजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे की शुरुआत आज भुज से करेंगे, जहां वे कुल 53,414 करोड़ रुपये की 33 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। इनमें खावड़ा अक्षय ऊर्जा पार्क की ट्रांसमिशन परियोजनाएं, ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार और तापी जिले में एक अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की आधारशिला शामिल है। ये परियोजनाएं गुजरात की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को नया बल देंगी।

दाहोद में 24,000 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ

भुज के बाद पीएम मोदी दाहोद जिले के खारोद पहुंचेंगे, जहां वे 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान वे दाहोद लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित करेंगे, जहां 9000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण किया जाएगा। ये इंजन माल ढुलाई को सशक्त बनाएंगे और ऊर्जा दक्षता के नए मानक स्थापित करेंगे। प्रधानमंत्री इस अवसर पर एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को हरी झंडी भी दिखाएंगे।

गांधीनगर में शहरी विकास को मिलेगा नया आयाम

दूसरे दिन प्रधानमंत्री गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां वे 5,536 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी गुजरात शहरी विकास मिशन की 20वीं वर्षगांठ समारोह में भाग लेंगे और शहरी विकास वर्ष 2025 की शुरुआत करेंगे।

रेलवे परियोजनाओं को भी हरी झंडी

प्रधानमंत्री वेरावल और अहमदाबाद के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस, तथा वलसाड और दाहोद के बीच एक नई एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। इसके अलावा वे आमान परिवर्तित कटोसन-कलोल रेलखंड का उद्घाटन करेंगे और इस खंड पर एक मालगाड़ी को रवाना करेंगे।

प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल गुजरात के विकास को नई गति देगा बल्कि ऊर्जा, परिवहन और उद्योग क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा। दाहोद संयंत्र और भुज की परियोजनाएं विशेष रूप से भारत की ग्रीन एनर्जी और लो-कार्बन इकोनॉमी की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।