
आयुर्वेद और आयुष पद्धति के नाम पर किए जा रहे भ्रामक और झूठे विज्ञापनों पर अब सरकार की सख्त नजर होगी। आयुष मंत्रालय ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘आयुष सुरक्षा पोर्टल’ लॉन्च किया है। यह पोर्टल आम नागरिकों को भ्रामक दावों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने और उस पर होने वाली कार्रवाई को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा देगा।
जनता और प्रशासन के बीच सेतु
पोर्टल की शुरुआत करते हुए आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा, “यह पोर्टल न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि उत्तरदायित्व तय करने में भी मददगार होगा। यह आम जनता और नियामक एजेंसियों के बीच एक डिजिटल सेतु की तरह कार्य करेगा।”
फार्माकोविजिलेंस को मिलेगा मजबूती का आधार
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने जानकारी दी कि यह पोर्टल विभिन्न फार्माकोविजिलेंस केंद्रों और नियामक एजेंसियों को एक मंच पर लाकर उनकी समन्वित कार्यक्षमता बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “अब भ्रामक दावों से जुड़ी हर शिकायत राष्ट्रीय डैशबोर्ड पर दर्ज होगी और उसकी स्थिति रियल टाइम में ट्रैक की जा सकेगी।”
जनता के लिए विशेष शिकायत प्रकोष्ठ
पोर्टल पर जनता के लिए एक विशेष शिकायत प्रकोष्ठ बनाया गया है, जिससे अधिकतम इनपुट मिल सकें। उपयोगकर्ता न केवल अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, बल्कि यह भी देख सकेंगे कि जांच किस चरण में है और क्या कार्रवाई हुई है।
सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर बना पोर्टल
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक दवाओं से संबंधित भ्रामक विज्ञापनों पर चिंता जताई थी और केंद्र सरकार को एक केंद्रीकृत निगरानी तंत्र बनाने का निर्देश दिया था। ‘आयुष सुरक्षा पोर्टल’ उसी निर्देश के अनुपालन में विकसित किया गया है।