बीजेपी ने नैशनल हेरल्ड केस और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के द्वारा दिए गए बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर जमकर हमला बोलते हुए घेरा है. हुए बीजेपी ने मंगलवार को दोनों मामलों का हवाला देते कहा कि इससे कांग्रेस के भ्रष्टाचार में कितनी लिप्त है साफ पता चलता है. वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राजन ने एस्टिमेट कमिटी को बताया सबसे अधिक बैंक लोन 2006-2008 के बीच दिया गया था. बता दें कि रघुराम राजन ने बैंकों के अधिक नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (NPA) के लिए बैंकर्स और आर्थिक मंदी के साथ फैसले लेने में UPA-NDA सरकार की सुस्ती को भी जिम्मेदार बताया है.
रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिए जवाब में कहा कि सबसे अधिक बैड लोन 2006-2008 के बीच दिया गया। इरानी ने कहा, ‘इससे साबित होता है कि बैंकों के एनपीए के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका वाड्रा टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद करना चाहते थे।’ उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर हमला हुआ। बता दें कि राजन ने एस्टिमेट कमिटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को भेजे नोट में बताया है कि सबसे अधिक बैड लोन 2006-2008 के बीच दिया गया था, जब आर्थिक विकास मजबूत था और पावर प्लांट्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स समय पर बजट के भीतर पूरे हो गए थे।
स्मृति इरानी ने साथ ही नैशनल हेराल्ड मामले में भी राहुल को घेरते हुए कई सवाल दागे हैं. उन्होंने कहा कि 2010 में राहुल एक कंपनी बनाते हैं। इसके बाद 2011 में असोसिएटेड जनरल को खरीदा जाता है, जिसके पास नैशनल हेराल्ड जैसे कांग्रेस के मुखपत्र प्रकाशित करने का अधिकार था. राहुल ने 90 करोड़ का लोन 50 लाख में खरीद लिया। इसके बाद राहुल का एक पत्रकार को दिया गया बयान कि उनकी कंपनी का अखबार प्रकाशित करने की कोई योजना नहीं है, चौंकाने वाला था.’ इरानी ने पूछा तो राहुल इस कंपनी क्या करते, इसका जवाब दें.
असोसिएटेड जनरल का देश के कई शहरों दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और हरियाणा जैसे राज्यों में संपत्तियां हैं। इस लोन को खरीदने के बाद राहुल 99 असोसिएटेड जनरल में 99 फीसदी के मालिक बनते हैं। इस कंपनी के अभी देश में हजारों की करोड़ की संपत्ति है। गौरतलब है कि सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने नैशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने 2011-12 के अपने कर निर्धारण की फाइल दोबारा खोले जाने को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा कि आयकर विभाग के पास यह अधिकार है कि वह टैक्स संबंधी कार्यवाही को फिर से शुरू कर सकता है.