अखिलेश के चाचा शिवपाल जाएंगे बीजेपी में ?

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद शिवपाल की नई नवेली पार्टी को के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीजपी में विलय करने की पेशकस की है। शिवपाल ने हाल ही में सपा से बगावत कर समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाया है. केशव मौर्य की इस पेशकश के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं। मौर्य ने प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि शिवपाल चाहें तो अपने मोर्चे का बीजेपी में विलय कर सकते हैं। इसके लिए उनका स्वागत है, लेकिन फिलहाल बीजेपी के पास किसी दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की कोई गुंजाइश नहीं है।

अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न अधिनियम में बदलाव को लेकर सवर्णों में उभरी नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस कानून का गलत इस्तेमाल नहीं होने देगी। बता दें कि अखिलेश की इस राह में उनके चाचा शिवपाल यादव ही सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं. शिवपाल यादव ने पिछले महीने सपा से नाता तोड़कर समाजवादी सेकुलर मोर्चा का गठन किया है। शिवपाल का मोर्चा सपा के रुठे नेताओं का ठिकाना बनता जा रहा है। इसमें भी खासकर यादव और मुस्लिम नेताओं का शिवपाल के मोर्चे से जुड़ने का सिलसिला जारी है। शिवपाल पहले ही 2019 में प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शिवपाल लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपने मोर्चे के 30 जिला अध्यक्षों की लिस्ट जारी की तो उसमें भी सपा नेताओं के नाम ही नजर आए। शिवपाल ने पूर्वांचल के 8 जिलों की कमान यादव नेताओं के हाथ में सौंपी थी। जौनपुर में प्रभानंद यादव, मिर्जापुर में श्यामा नारायण यादव, आजमगढ़ में राम प्यारे यादव, बलिया में दिनेश यादव, मऊ में विजय शंकर यादव, गोरखपुर में राम मिलन यादव, और देवरिया में गिरेंद्र यादव को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. यूपी में 12 फीसदी यादव मतदाता हैं, जो सपा का मूल वोट बैंक माने जाते रहे हैं, लेकिन शिवपाल अब उसे अपने साथ जोड़ने की कवायद में जुटे हैं।

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बता दें कि मुलायम सिंह के सपा अध्यक्ष रहते हुए शिवपाल यादव पार्टी के सर्वेसर्वा हुआ करते थे. सपा के सत्ता में रहते हुए शिवपाल मदद की आस लेकर आए यादव समुदाय के लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे. यही वजह है कि पार्टी संगठन से लेकर यादव समुदाय के बीच उनकी बेहतर और मजबूत पकड़ रही है.