राजस्थान सरकार ने राज्य अदालतों में लंबित मामलों को जल्द निपटाने के लिए नए अदालतों का सृजन किया है । अंतर्गत नए न्यायालयों में सहायक अभियोजन अधिकारी के 13 पद, कनिष्ठ सहायक के 13 पद तथा चतुर्थ श्रेणी के 13 पद सृजित होंगे। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 4 अप्रेल को प्रदेश में 13 नए न्यायालय खोलने की अधिसूचना जारी की गई थी। नवीन पदों के सृजन से न्यायालयों में दायित्वों की सूचारू रूप से निर्वहन करने में मदद मिलेगी। नवीन पदों को सृजित किए जाने पर लगभग 3.67 करोड़ रूपए का वार्षिक व्यय संभावित है। सरकार के प्रस्ताव से स्थानीय स्तर पर प्रशासनीक कार्यां को पूरा किया जा सकेगा जिससे आमजन को पंजीकरण से संबंधित काम के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी । नव सृजित व क्रमोन्नत तहसीलों व उप तहसीलों को उप जिला घोषित करने तथा इनमें पदस्थापित तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों को पंजीयन के अधिकार देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
देश की ज्यादातर अदालतों में लाखों मामले सालों से लंबित पड़े हुए हैं । केन्द्र सरकार भी चाहती है की अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा जल्द से जल्द हो इसके लिए फास्ट ट्रेक अदालतों के सृजन के लिए राज्य सरकारों को कहा था । 1980 से 2022 तक राजस्थान हाईकोर्ट में ही ढाई लाख मामले लंबित, 524 मामले तो 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं । सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की संख्या मामलों को जल्द निपटाने के लिहाज से काफी कम है । वहीं कोरोना काल में ही लगातार अदालतों के ठप्प रहने से इन मामलों को निपटाने की प्रक्रिया भी धीमी पड़ी है । केन्द्र सरकार के कानून मंत्रालय ने अदालतों से इस सबंध में व्यवस्था बनाने के लिए कहा है की लोगों को न्याय पाने के लिए तारीख पर तारीख न मिले और मामलों का निपटारा ई-अदालतों के माध्यम से भी जल्द से जल्द निपटाए जाएं।