भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 10 गुना ज्यादा पेस्टीसाइड को मंजूरी देने वाली खबरों पर सफाई जारी की है. FSSAI ने कहा है- ‘कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जड़ी-बूटियों और मसालों में 10 गुना अधिक कीटनाशक अवशेषों की अनुमति दी गई है. ऐसी खबरें झूठी और दुर्भावनापूर्ण हैं. यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) दुनियाभर में सबसे कड़े मानकों में से एक है. वहीं कीटनाशकों के एमआरएल उनके रिस्क के आकलन के आधार पर खाने की अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग तय किए जाते हैं.
FSSAI ने कहा है कि कीटनाशकों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA & FW) की तरफ से कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत बनाई गई केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) के जरिए रेगुलेट किया जाता है. सीआईबी और आरसी कीटनाशकों की मैन्युफैक्चरिंग, आयात, निर्यात, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज आदि को रेगुलरेट करते हैं.
FSSAI का कीटनाशक अवशेषों की जांच के लिए बनाया गया साइंटिफिक पैनल सीआईबी और आरसी से मिले आंकड़ों को चेक करता है. इसके बाद सभी रिस्क से जुड़े आंकड़ों की जांच के बाद एमआरएल तय किए जाते हैं. इस दौरान भारत के लोगों की डाइट और सभी एज ग्रुप के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाता है.
भारत में सीआईबी और आरसी की तरफ से रजिस्टर्ड कुल कीटनाशकों की संख्या 295 से अधिक है. इनमें से 139 कीटनाशक मसालों में इस्तेमाल के लिए रजिस्टर्ड हैं. कोडेक्स (Codex) ने कुल 243 कीटनाशकों को अपनाया है, जिनमें से 75 कीटनाशक मसालों में इस्तेमाल हो सकते हैं.
इससे पहले हांगकांग के खाद्य नियामक ने दो प्रमुख भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों के नमूनों में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड की कथित उपस्थिति के कारण प्रतिबंध लगा दिया था. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) घरेलू बाजारों में बेचे जाने वाले एमडीएच और एवरेस्ट सहित ब्रांडेड मसालों के नमूने ले रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे इसके गुणवत्ता मानदंडों का अनुपालन करते हैं.