कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को अवैध और सीबीआई एक्ट का उल्लंघन करार दिया है।
नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ शनिवार को खड़गे ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है और इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने अपनी याचिका में कहा कि अधिनियम के मुताबिक सीबीआई निदेशक की नियुक्ति या उसे हटाने के बारे में नेता प्रतिपक्ष, प्रधानमंत्री और प्रधान न्यायाधीश की तीन सदस्यीय वैधानिक समिति को ही अधिकार है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास सीबीआई निदेशक के खिलाफ कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता होने की वजह से खड़गे सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाली समिति के सदस्य भी हैं।
खड़गे ने अपनी याचिका में कहा है, “याचिकाकर्ता नियुक्ति कमेटी के सदस्य हैं, बावजूद इसके सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से उनके अधिकार छीनने की जानकारी उसे नहीं दी गई, ना ही इस फैसले से संबंधित किसी मीटिंग के बारे में उसे बताया गया।”
खड़गे ने कहा कि सीबीआई चीफ को छुट्टी पर भेजने से पहले उन्हें नियुक्त करने वाली कमेटी की मीटिंग बुलानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कमेटी की मीटिंग किए बिना ही रातों-रात आलोक वर्मा को अनिश्चितकाल तक छुट्टी पर जाने को कह दिया।
खड़गे ने इस संबंध में बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने की कार्रवाई अवैध है और यह सीबीआई अधिनियम का उल्लंघन भी है।” कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने खड़गे से कहा था कि वह इस संबंध में याचिका दायर करें।
खड़गे ने कहा कि यह एक स्वायत्त संस्था में साफ-साफ पीएमओ के हस्तक्षेप का मामला है, इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट गए हैं। बता दें कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि राफेल मामले में फंसता देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रातों-रात सीबीआई निदेशक को हटा दिया है। बता दें कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने रिश्वत के एक मामले में आलोक वर्मा, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को आधी रात को छुट्टी पर भेज दिया था।