1000 साल पुराना है कानपुर में स्थित मां कुष्मांडा देवी का ये मंदिर… कीजिए दर्शन
कानपुर- उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर घाटमपुर तहसील में मां कुष्मांडा का एक हजार साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है। मां कुष्मांडा मां दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की ही पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि कुष्मांडा स्वरूप में मां की आठ भुजाएं हैं और आठों भुजाओं में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं। यूपी के कानपुर में मां कुष्मांडा का एक ऐतिहासिक और चमत्कारी मंदिर स्थित है। कानपुर में स्थित मां कुष्मांडा देवी के इस मंदिर की नीव 1380 में राजा घाटमपुर दर्शन ने रखी थी, जिसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य एक व्यापारी ने पूरा करवाया था।
इस मंदिर में मां कुष्मांडा लेटी हुई मुद्रा में हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां मां कुष्मांडा के आशन से हमेशा पानी रिसता रहता है। इस पानी का स्त्रोत क्या है, ये आज भी सबके लिए एक रहस्य बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त मां के आशन से रिसते हुए इस पानी को आंखों पर लगाये तो उसके आंखों से संबंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं। साथ ही मान्यताओं के अनुसार इस पानी के पीने से शारीरिक और मानसिक सभी प्रकार के रोगों से भक्तों को छुटकारा मिलता है।
मां कुष्मांडा के इस मंदिर में एक अनोखी परम्परा भी है जो मां के इस धाम को देश के सभी मंदिरों से अलग बनाती है। इस मंदिर में मां की आरती, श्रृगांर, मंदिर के रख-रखाव का कार्य कोई पंडित नहीं करता, बल्कि एक माली करता है। माली ही पीढ़ी दर पीढ़ी मां की सेवा करते हैं और मंदिर के रख-रखाव और पूजा-पाठ का कार्य करते हैं।