जानिए क्या होता है अंबुबाची मेले में मां कामाख्या का दिव्य प्रसाद

1

असम की राजधानी गुहाटी में कामाख्या देवी का मंदिर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। हर साल की तरह इस बार भी अंबुबाची मेला 22 से 26 जून तक चलेगा इस मेले में दुनिया भर के तांत्रिक तंत्र, साधना औऱ सिद्धियों के लिए आते है ऐसी मान्यता है कि जो तंत्र मंत्र की साधना कही पूरी नहीं होती वो यहा पूरी होती है। यह पांच दिवसीय मेला हर साल लगता है। कामाख्या देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है जानिए अंबुबाची मेला से जुड़ी जरुरी बातें…

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने चक्र से देवी सती का शव काटा तो उनकी योनी का भाग कट कर गिर गया था। इसी मान्यता के कारण देवी की योनी की पूजा होती है। मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद रहते है माना जाता है कि मां कामाख्या इस बीच रजस्वला होती है और उनके शरीर से रक्त निकलता रहता है जिससे मां की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है।

क्या होता है मां कामाख्या का दिव्य प्रसाद

तीन दिन तक मंदिर के कपाट बंद रहने के बाद जब चौथे दिन मां के कपाट खुलते है तो मां के वस्त्र रक्त से लथपथ होते है माता का दिव्य प्रसाद लाल रंग का वस्त्र होता है जिस माता राजस्वला होने के दौरान धारण करती है ऐसा माना जाता है कि यह माता के रक्त से लथपथ लाल वस्त्र का टुकड़ा जिसे मिल जाता है उसके सारे कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती है।