कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू, भारत ने दो इमिग्रेशन चौकियों को दी अस्थायी मंजूरी

4

कोरोना महामारी और भारत-चीन सैन्य गतिरोध के चलते चार वर्षों से रुकी कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की कि कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों के प्रवेश और निकासी के लिए नाथू ला (सिक्किम) और लिपुलेख ला (गुंजी, उत्तराखंड) को अस्थायी अधिकृत इमिग्रेशन चेकपोस्ट घोषित किया गया है।

हर साल जून से सितंबर के बीच विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली यह यात्रा इस वर्ष पहली बार 2020 के बाद पुनः आयोजित की जा रही है। पहले महामारी और फिर भारत-चीन सीमा तनाव के कारण इस यात्रा पर रोक लगा दी गई थी।

कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से भी गहराई से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि कैलास पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है, जो हिंदुओं के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए भी विशेष धार्मिक महत्व रखता है।

दो मार्गों से होती है यात्रा

लिपुलेख पास (उत्तराखंड): यह मार्ग पर्वतीय और ट्रेकिंग आधारित है, लेकिन रोमांच और भक्ति से भरपूर अनुभव देता है।

नाथू ला पास (सिक्किम): यह मार्ग वाहन के माध्यम से अधिक सुलभ होता है, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए।

हर वर्ष सैकड़ों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं और इसे अपने जीवन की आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देखते हैं। सरकार की यह पहल इस महत्वपूर्ण यात्रा को फिर से सुलभ और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।