: पंचकूला में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के स्पेशल कोर्ट ने राम रहीम मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में स्पेशल कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को मरते दम तक कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मामले की संवेदनशीलता और सुरक्षा व कानून व्यवस्था को देखते हुए सजा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनाई गई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच सजा को लेकर जमकर बहस की। सीबीआई ने जहां फांसी की सजा की मांग की थी, वहीं राम रहीम के वकील ने रहम और काम से कम सजा की मांग की। वकील ने बाबा द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का हवाला दिया
Journalist Ramchandra Chhatarpati murder case: Three other convicts Kuldeep Singh, Nirmal Singh and Krishan Lal, have also been awarded life imprisonment. The Court has also imposed a fine of Rs 50,000 each. https://t.co/rclAjUMaCs
— ANI (@ANI) January 17, 2019
गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम तथा तीन अन्य को इस मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया था। 16 साल पुराने इस मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई अदालत ने बुधवार को हरियाणा सरकार की अर्जी को मंजूर करते हुए बड़ी राहत दे दी।
Police have imposed Section 144 across the city in view of the pronouncement of quantum of punishment to Dera Sacha Sauda chief Gurmeet Ram Rahim by CBI Special Court.
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— ANI Digital (@ani_digital) January 17, 2019
इस बीच सिरसा और फतेहाबाद में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सिरसा और फतेहाबाद जिलों में धारा 144 लागू है। उल्लेखनीय है कि गुरमीत राम रहीम इस समय साध्वी यौन शोषण मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है, वहीं तीन अन्य अंबाला सेंट्रल जेल में हैं।
खट्टा सिंह की गवाही अहम रही
राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह ने गवाही में कहा था कि पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने के लिए बाबा ने ही कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल सिंह को आदेश दिया था। राम रहीम 23 अक्टूबर 2002 को जालंधर के एक सत्संग से सिरसा वापस पहुंचा तो उसे कृष्ण लाल ने अखबार दिखाया, जिसमें साध्वियों के यौन शोषण के बारे में खबर छपी थी।
खबर पढ़ते ही राम रहीम तिलमिला उठा और उसने मेरे सामने कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल को आदेश दिया कि रामचंद्र छत्रपति को मौत के घाट उतार दो। इसके बाद 24 अक्टूबर 2002 को रामचंद्र छत्रपति को उसके घर के बाहर गोलियों से भून दिया गया।
साध्वियों का यौन शोषण करने संबंधी चिट्ठी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के मर्डर का कारण बनी थी। छत्रपति ने अपने सांध्य कालीन समाचार पत्र पूरा सच में वह पत्र प्रकाशित किया था। अखबार में छपी इस खबर के प्रकाशित होने के बाद राम रहीम के लोग पत्रकार को धमकियां देने लगे थे।
लेकिन पत्रकार निर्भीक होकर राम रहीम के खिलाफ लिखते रहे। 24 अक्टूबर 2002 को तीन लोगों ने छत्रपति पर हमला करके उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति जिंदगी की लड़ाई हार गए, लेकिन उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने हार नहीं मानी।
अंशुल ने सीबीआई जांच की मांग के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। नवंबर 2003 में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज की। 2004 में डेरा सच्चा सौदा ने यह जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, पर यह याचिका खारिज कर दी गई।
करीब 16 साल केस की सुनवाई पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चली। 31 जुलाई 2007 के चार्जशीट दाखिल की गई। 12 दिसंबर 2008 को सभी आरोपियों पर आरोप तय किए गए। अभियोजन पक्ष की ओर से 46 और बचाव पक्ष की ओर से 21 गवाह पेश किए गए। 2 जनवरी 2019 को केस में बहस पूरी हुई।
पत्रकार छत्रपति हत्याकांड?
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड करीब 16 साल पुराना है और डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इसमें आरोपी है। साल 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। छत्रपति अपने समाचार पत्र में डेरा से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करते थे। सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था।