कथा करने गए यादव कथावाचक के साथ अमानवीय बर्बरता, जाति के नाम पर अपमान, महिला के मूत्र से ‘पवित्र’ करने की शर्मनाक कोशिश

3

इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव में धर्म और जाति की आड़ में अमानवीयता की शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। कानपुर निवासी कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव के साथ जाति के नाम पर बर्बरता की गई। कथावाचक का आरोप है कि केवल इसलिए उनके साथ मारपीट, अपमान और दुर्व्यवहार किया गया क्योंकि वह ब्राह्मण नहीं, यादव जाति से हैं।

चोटी काटी, सिर मुंडवाया, महिला के पैरों में रगड़वाया गया नाक

पीड़ित मुकुट मणि ने बताया कि 22 जून को वह भागवत कथा के लिए दादरपुर गांव पहुंचे थे। आयोजनकर्ता पप्पू बाबा ने उनसे भोजन के समय उनकी जाति पूछी। जैसे ही उन्होंने यादव बताया, पप्पू बाबा और अन्य लोगों ने कथित रूप से कहा, “ब्राह्मणों के गांव में कथा करने की हिम्मत कैसे की?” इसके बाद लात-घूंसे, चप्पलों से पीटा गया, सिर मुंडवाया गया, और एक महिला के पैरों में नाक रगड़वाया गया।

इतना ही नहीं, महिला का मूत्र कथावाचक पर छिड़कते हुए कहा गया, “ब्राह्मण का मूत्र पा गए, अब तुम पवित्र हो गए”। यह पूरी घटना का वीडियो अब वायरल हो चुका है, जिसने सोशल मीडिया पर आक्रोश पैदा कर दिया है।

मुकुट मणि ने बताया कि उनके साथ मौजूद अन्य व्यक्ति के साथ भी मारपीट की गई, उसका भी सिर मुंडवाया गया। उनका हारमोनियम तोड़ा गया, साइकिल के पंप को गाड़ी में जबरन लगाने को कहा गया, ₹25,000 नकद और सोने की चेन छीन ली गई, जो अब भी आरोपियों के कब्जे में है।

एफआईआर दर्ज, सपा सांसद ने उठाई आवाज

सोमवार को पीड़ित, सपा सांसद जितेंद्र दोहरे के साथ एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव से मिले। SSP ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पप्पू बाबा, मनीष, अतुल, डीलर समेत 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और तत्काल गिरफ्तारी के आदेश दिए।

एसएसपी ने कहा, इस तरह की अमानवीय घटना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, सपा सांसद जितेंद्र दोहरे ने कहा, यह केवल जातीय नहीं, धार्मिक स्तर पर भी अमानवीय हमला है। यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो समाजवादी पार्टी इसे संसद तक उठाएगी।

जातीय और धार्मिक आधार पर की गई यह बर्बर घटना सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज और संविधान पर हमला है। अब सवाल यह है कि क्या धर्म और जाति के नाम पर ऐसे अपमान की इजाजत दी जा सकती है? जवाबदेही तय करना और न्याय सुनिश्चित करना अब प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।