भारत की नई समुद्री पहल MAHASAGAR, 50 देशों के साथ हिंद-प्रशांत में बढ़ेगी नौसैनिक साझेदारी

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भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2025 के उद्घाटन सत्र में घोषणा की कि भारत आने वाले वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी समुद्री उपस्थिति को नए स्तर पर ले जाने जा रहा है। एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि भारत की नई समुद्री दृष्टि को “MAHASAGAR” (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) नाम दिया गया है, जो पहले की “SAGAR” नीति का विस्तारित रूप है। इस पहल का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, सहयोग और साझा विकास को सशक्त बनाना है।

उन्होंने कहा कि भारत की योजना करीब 50 देशों को इस अभियान में शामिल करने की है ताकि साझा नौसैनिक अभ्यास, प्रशिक्षण, क्षमता-विकास और तकनीकी सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।

इस संवाद में लगभग 30 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारत इस साझेदारी को जल्द ही 50 देशों तक विस्तार देना चाहता है। इस नेटवर्क में दक्षिण-पूर्व एशियाई देश, अफ्रीकी तटीय राष्ट्र और द्वीप-राज्य प्रमुख रूप से शामिल होंगे।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र केवल भौगोलिक परिभाषा नहीं, बल्कि सुरक्षा और विकास का साझा समुद्री क्षेत्र है। यहां व्यापारिक मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति, पर्यावरणीय चुनौतियाँ और सामरिक साझेदारी एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि बदलते वैश्विक हालात—जैसे अवैध मत्स्य पालन, तस्करी, जलवायु परिवर्तन और समुद्री व्यापार की अनिश्चितता—साझा सहयोग की मांग करते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि “MAHASAGAR” पहल भारत की रणनीतिक भूमिका को केवल रक्षा तक सीमित न रखकर उसे सहयोग और विकास की दिशा में विस्तारित करने का संकेत देती है।

हालाँकि, 50 देशों को इस मिशन से जोड़ना भारत के लिए आसान नहीं होगा। इसके लिए नीति-संगति, संसाधनों की साझेदारी, तकनीकी सहयोग और राजनयिक समन्वय की आवश्यकता होगी। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस पहल के कार्यान्वयन और प्रभाव-आकलन के लिए कैसी रूपरेखा तैयार करता है।