
पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज वैश्विक मंच पर भारत की आवाज पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली हो गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया अब उनकी बातों को गंभीरता से सुनती है, जो इस बात का संकेत है कि भारत एक सशक्त वैश्विक शक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है।
भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत केवल आर्थिक मजबूती के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक मूल्य और वैश्विक शांति में योगदान के चलते भी सम्मान पा रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन जनता की जागरूकता, स्थिर नेतृत्व और राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का परिणाम है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि महामारी, वैश्विक संकटों और मानवीय सहायता से जुड़े मामलों में भारत ने कई देशों की मदद कर विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी पहचान मजबूत की है। उनके अनुसार यह बदलाव केवल राजनीतिक नेतृत्व की देन नहीं है, बल्कि देश की सामूहिक शक्ति और समाज में बढ़ती सकारात्मकता का प्रतीक है।
अपने संबोधन में भागवत ने देशवासियों से अपील की कि वे आत्मनिर्भरता और संगठन की भावना को मजबूत कर भारत की वैश्विक भूमिका को और ऊंचाई दें। उन्होंने कहा कि यदि भारत अपनी वर्तमान गति और दिशा बनाए रखता है, तो आने वाले वर्षों में उसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भी अधिक बढ़ेगा।













