भारतीय सेना को मिली नई ताकत, स्वदेशी ATAGS तोप से बढ़ेगी फायरपावर

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भारतीय सेना के शस्त्रागार में जल्द ही एक और अत्याधुनिक और पूरी तरह स्वदेशी हथियार शामिल होने जा रहा है एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS)। यह नई पीढ़ी की 155 मिमी / 52 कैलिबर की तोप न केवल सेना की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाएगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को भी मजबूती देगी।

क्या है खास ATAGS में?

ATAGS को देश में ही विकसित किया गया है और यह मौजूदा तोपों की तुलना में कहीं ज्यादा एडवांस और भरोसेमंद है। इसकी प्रमुख खूबियां इस प्रकार हैं:

रेंज: 48 किलोमीटर तक सटीक हमला करने में सक्षम

तकनीक: ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम – जो फायरिंग प्रक्रिया को ज्यादा तेज और स्मार्ट बनाता है

क्षमता: ऊंचे पहाड़ों से लेकर गर्म रेगिस्तानों तक हर इलाके में शानदार प्रदर्शन

सटीकता: अत्याधुनिक टारगेटिंग सिस्टम से लैस

कैसे बना ATAGS?

इस हाई-टेक तोप को पुणे स्थित DRDO की Armament Research and Development Establishment (ARDE) ने विकसित किया है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2012 में हुई थी और इसमें DRDO के अलावा भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारतीय सेना सहित कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों की अहम भूमिका रही है।

ARDE के अधिकारियों के अनुसार, केवल 12 वर्षों में डिज़ाइन से लेकर सेना में शामिल होने तक का सफर तय करना इस प्रोजेक्ट की बड़ी उपलब्धि है।

लागत और डिलीवरी

कुल लागत: ₹6,900 करोड़

करार: 26 मार्च को भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ

डिलीवरी: आगामी 5 वर्षों में कुल 307 ATAGS तोपों की आपूर्ति की जाएगी

साथ ही, इस सौदे में 6×6 हाई मोबिलिटी गन टोइंग व्हीकल्स भी शामिल हैं, जो इन तोपों को कठिन इलाकों तक पहुंचाने में सक्षम होंगे।

भारतीय सेना के लिए नई शक्ति

ATAGS की तैनाती से पुरानी और कम रेंज वाली तोपों की जगह ली जाएगी। इससे भारतीय सेना की फायरपावर, रिएक्शन टाइम और ऑपरेशनल क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। यह हथियार न सिर्फ कम मेंटेनेंस वाला है, बल्कि तेज़ और कुशल फायरिंग के लिहाज से भी बेहतरीन है।

रक्षा मंत्रालय ने ATAGS को ‘Exemplary Mission Mode Success’ घोषित किया है। यह DRDO का एक प्रमुख डिफेंस प्रोजेक्ट बन चुका है और भारतीय सेना के आर्टिलरी आधुनिकीकरण का प्रतीक माना जा रहा है। ATAGS का सेना में शामिल होना न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती देता है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब आधुनिक सैन्य तकनीक में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।