
उत्तराखंड में डेंगू संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। राज्य के कई जिलों में डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे न केवल स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ी है, बल्कि आम जनता भी सतर्क हो गई है। अब तक प्रदेशभर में डेंगू के कुल 34 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से सबसे अधिक 14 से अधिक मामले देहरादून जिले से रिपोर्ट हुए हैं। इसके अलावा हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में भी संक्रमण की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की रोकथाम और मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए तेज गति से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। देहरादून के जिला अस्पताल कोर्नेशन में डेंगू के संभावित मरीजों के लिए 10 बेड का विशेष वार्ड बनाया गया है। अस्पताल के CMS डॉ. वी.एस. चौहान के अनुसार, डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए दवाइयों का पर्याप्त भंडारण किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त व्यवस्थाएं तत्काल की जाएंगी।
राज्य में सैकड़ों संदिग्ध और दर्जनों पुष्ट मामलों की पुष्टि हो चुकी है। अस्पतालों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द और प्लेटलेट्स की गिरावट जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर जांच और उपचार कराना बेहद जरूरी है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में विशेष टीमें गठित कर दी हैं जो प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग (धुंआ छिड़काव), एंटी-लार्वा स्प्रे और साफ-सफाई अभियान चला रही हैं। इसके साथ ही जन-जागरूकता अभियान भी तेज कर दिए गए हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर, घोषणाएं और कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं।
मुख्य सलाहें जो लोगों को दी जा रही हैं
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।फूलदान, कूलर, टायर, बाल्टी आदि में रुका हुआ पानी तुरंत हटाएं। मच्छरदानी और रिपेलेंट का नियमित उपयोग करें। बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। हल्के कपड़े पहनें और शरीर को ढककर रखें। बुखार या अन्य लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं।
विभागीय सतर्कता और आगे की रणनीति
स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा है। रक्त जांच की सुविधा, प्लेटलेट्स की उपलब्धता और मरीजों की निगरानी के लिए अलग से टीमें नियुक्त की गई हैं। ग्राम पंचायतों से लेकर शहरी निकायों तक को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में साफ-सफाई और लार्वा नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें।
स्वास्थ्य मंत्री ने भी हालात पर कड़ी नजर रखने और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन बैठकें आयोजित की हैं। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि अफवाहों से बचें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें।
डेंगू से लड़ाई में हर नागरिक की भूमिका अहम है। उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सक्रिय हैं, लेकिन इस चुनौती से पूरी तरह पार पाने के लिए जनता की जागरूकता और सहयोग भी उतना ही जरूरी है।