रात को सोते समय अगर पैरों में झुनझुनी होने लगे, तो आपकी नींद खराब हो सकती है। इस तरह की परेशानी अक्सर नींद में खलल डालती है। अगर आपको अक्सर सोते समय पैरों में झुनझुनी की शिकायत हो रही है, तो इस स्थिति में एक बार अपने हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें। जी हां, इस तरह का संकेत कई तरह की समस्याओं की ओर इशारा करता है, जिसमें अर्थराइटिस और डायबिटीज जैसी बीमारी शामिल है। इस लेख में हम आपको उन बीमारियों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं पैरों में झुनझुनी की परेशानी होने पर कौन-कौन सी समस्याएं होने का खतरा रहता है?
टार्सल टनल सिंड्रोम
टार्सल टनल सिंड्रोम की वजह से भी मरीजों को पैरों में झुनझुनी की शिकायत हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो टखनों को प्रभावित करती है। टार्सल टनल सिंड्रोम में पैरों में झुनझुनी के साथ सुन्नता, कमज़ोरी और मांसपेशियों में नुकसान होने की भी संभावना होती है।
रीढ़ की हड्डी का कंप्रेशन
कोई भी बीमारी या चोट जो रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालती है, वह रीढ़ की हड्डी के संपीड़न का कारण बन सकती है। यह आमतौर पर 40 की उम्र के बाद लोगों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में पैरों में झुनझुनी भी हो सकती है।
रेनॉड डिजीज
रात में सोते समय होने वाली झुनझुनी की परेशानी रेनॉड डिजीज के कारण भी हो सकता है। यह आपकी उंगलियों, पैर की उंगलियों और शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड फ्लो को कम कर देती है। रेनॉड की बीमारी तब होती है, जब ठंड लगने या तनाव होने पर आपकी रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं।
पेरिफेरल न्यूरोपैथी
पेरिफेरल न्यूरोपैथी तंत्रिका डैमेज है, जो आपके पैरों और टांगों को प्रभावित करती है। कुछ मामलों में यह स्थिति हाथों और बाजुओं में भी देखी जा सकती है। इस स्थिति में मरीजों के पैर ठंडे होने के साथ-साथ झुनझुनी की शिकायत भी हो सकती है।
नर्व रूट कम्प्रेशन
इस स्थिति में नर्व की जड़ों में किसी तरह का आघात हो जाता है, जिसकी वजह से पैरों में झुनझुनी की शिकायत हो सकती है। विशेष रूप से, रीढ़ की हड्डी की तंत्रिका जड़ संपीड़न आपके पैरों में झुनझुनी पैदा कर सकती है। अगर आपको ऐसे संकेत दिख रहे हैं, तो एक बार अपनी जांच जरूर कराएं।