
मई 2023 में मणिपुर में भड़की हिंसा के बाद पहली बार कुकी और मैतेई समुदाय से जुड़े भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक एक मंच पर नजर आए। रविवार को दिल्ली में आयोजित इस अहम बैठक को मणिपुर में राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक समन्वय की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है। बैठक के बाद राज्य में सरकार गठन की संभावनाओं को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
फिलहाल मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के दो दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया था कि पहाड़ी और घाटी क्षेत्र एक-दूसरे के पूरक हैं और राज्य में स्थायी शांति स्थापित करना समय की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि घाटी क्षेत्रों में मैतेई समुदाय जबकि पहाड़ी इलाकों में कुकी जनजाति का निवास है।
फरवरी 2026 तक जारी रहेगा राष्ट्रपति शासन
दिल्ली में दोनों समुदायों के भाजपा विधायकों का एक साथ आना राष्ट्रपति के शांति और समन्वय के संदेश को मजबूती देता है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को अगले छह महीनों के लिए बढ़ाया गया है, जो अब फरवरी 2026 तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद इसे आगे बढ़ाने के लिए संसद अथवा चुनाव आयोग की स्वीकृति आवश्यक होगी।
शांति और विकास पर केंद्रित रही चर्चा
बैठक के बाद भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बी.एल. संतोष ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बताया कि बैठक सकारात्मक और परिणामकारी रही। उन्होंने कहा कि चर्चा का मुख्य फोकस मणिपुर में शांति बहाली और विकास कार्यों को तेज करने पर रहा। राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं और विकास परियोजनाएं भी निरंतर आगे बढ़ रही हैं।
गौरतलब है कि भाजपा के उत्तर-पूर्व प्रभारी संबित पात्रा और बी.एल. संतोष ने नवंबर में मणिपुर का दौरा कर स्थानीय नेताओं व जनप्रतिनिधियों से संवाद किया था। मई 2023 से जारी हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। ऐसे में दिल्ली में हुई यह बैठक मणिपुर के भविष्य के लिए एक अहम राजनीतिक पहल के रूप में देखी जा रही है।












