भैरव जयंती पर अपनाएं 8 उपाय, जीवन से दूर होंगी नकारात्मक शक्तियां और शत्रु बाधाएं!

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भगवान काल भैरव का प्राकट्य दिवस मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है! शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को दूर करने और संसार से अधर्म का नाश करने के लिए काल भैरव रूप धारण किया था। जो भक्त इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक भैरव बाबा की पूजा करता है, उसके जीवन से भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इस दिन किए जाने वाले कुछ सरल उपायों से भगवान काल भैरव की कृपा सदा आपके ऊपर बनी रहती है

  1. भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं
    काल भैरव अष्टमी के दिन प्रातः स्नान कर भैरव मंदिर जाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में एक-एक लौंग डालकर जलाने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  2. काले कुत्ते को खिलाएं भोजन
    भैरव बाबा का वाहन काला कुत्ता माना जाता है। इस दिन काले कुत्ते को रोटी पर तेल लगाकर खिलाना अत्यंत शुभ होता है। यह उपाय शत्रु बाधा, नजर दोष और दैहिक कष्टों को दूर करता है।
  3. भैरव चालीसा या काल भैरव अष्टक का पाठ करें
    काल भैरव अष्टमी पर भैरव चालीसा या “काल भैरव अष्टक” का श्रद्धा से पाठ करने से मनुष्य के सारे संकट मिट जाते हैं। यह उपाय जीवन में आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला माना गया है।
  4. तांबे के पात्र में जल से अभिषेक करें
  5. भैरव बाबा को तांबे के पात्र में जल, दूध, शहद और इत्र मिश्रित जल से स्नान कराएं। ऐसा करने से जीवन में रुके कार्य पूरे होते हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  6. शराब के स्थान पर चढ़ाएं इत्र या शीतल पेय
    कुछ स्थानों पर भैरव पूजा में मद्यपान की प्रथा है, परंतु शास्त्रों में उसकी जगह इत्र या शीतल पेय अर्पित करने का उल्लेख मिलता है। इससे देव कृपा बनी रहती है और पवित्रता भी कायम रहती है।
  7. भैरव बाबा को सिंदूर और काले तिल अर्पित करें
    काले तिल और सिंदूर भैरव जी के प्रिय माने गए हैं। इन्हें अर्पित करने से ग्रह दोष, विशेषकर शनि और राहु के प्रभाव शांत होते हैं और व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।
  8. गरीबों और साधुओं को भोजन कराएं
    इस दिन किसी जरूरतमंद, साधु या भिखारी को भोजन कराना भैरव कृपा का प्रमुख साधन है। यह उपाय पितृ दोष और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति देता है।
  9. रात्रि में करें “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जप
    अष्टमी की रात्रि को शांत वातावरण में बैठकर इस मंत्र का 108 बार जप करें। यह उपाय घर-परिवार पर आने वाले संकटों को नष्ट करता है और व्यक्ति को अदृश्य सुरक्षा कवच प्रदान करता है।