
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को और सुगम और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। ‘सिलक्यारा बैंड-बरकोट रोड’ सुरंग की दोनों ओर से खुदाई का कार्य बुधवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। इसी ऐतिहासिक उपलब्धि के अवसर पर एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि यह सुरंग सिर्फ इंजीनियरिंग की उपलब्धि नहीं, बल्कि आस्था का भी केंद्र बनेगी। उन्होंने बताया कि सुरंग का नाम अब बाबा बौखनाग के नाम पर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसी के तहत बुधवार को सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग मंदिर का विशेष अभिषेक समारोह भी आयोजित किया गया।
चारधाम यात्रा में होगी राहत
करीब 853 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 4.5 किलोमीटर लंबी यह दो लेन की सुरंग, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी को लगभग 26 किलोमीटर कम कर देगी। इससे तीर्थयात्रियों का समय बचेगा और सफर अधिक आरामदायक तथा सुरक्षित होगा। यह सुरंग ऑल वेदर रोड (चारधाम बारहमासी सड़क परियोजना) का एक अहम हिस्सा है।
2023 की दर्दनाक घटना, जिसे आज भी याद करते हैं मजदूर
यही वह सुरंग है, जिसमें 12 नवंबर 2023 को सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 41 मजदूर अंदर फंस गए थे। लगातार 17 दिनों तक चले राहत व बचाव अभियान के बाद, 28 नवंबर को सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। भावनात्मक पहलू यह है कि उस कठिन परिस्थिति को झेलने वाले 41 मजदूरों में से 16 आज भी उसी सुरंग में काम कर रहे हैं और इसे अपना सौभाग्य मानते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, सुरंग के भीतर की अंतिम संरचनात्मक गतिविधियों और तकनीकी कार्यों को पूरा करने में अभी लगभग 15 से 18 महीने और लगेंगे। इसके बाद यह सुरंग पूरी तरह चालू हो जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने निर्माण कार्य में लगे सभी मजदूरों, इंजीनियरों और एजेंसियों की सराहना की और कहा कि “ये परियोजना उत्तराखंड की भौगोलिक और धार्मिक पहचान को मजबूत बनाएगी। बाबा बौखनाग की कृपा से यह कार्य बिना किसी बड़ी बाधा के पूरा हो रहा है।”