
आजकल खराब खान-पान और गलत लाइफस्टाइल की वजह से कम उम्र में ही दांतों में कीड़ा लगना, सड़न और दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल ब्रश करना पर्याप्त नहीं है—जब तक भोजन आदतें सही नहीं होंगी, दांतों को पूरी तरह स्वस्थ रखना मुश्किल होगा। बाजार में भले ही कई तरह के टूथपेस्ट उपलब्ध हैं, लेकिन कई मामलों में प्राकृतिक और घरेलू उपचार अधिक प्रभावी साबित होते हैं।
पुराने समय से ही दांतों की देखभाल के लिए प्राकृतिक नुस्खों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये उपाय न सिर्फ दांतों को साफ रखते हैं, बल्कि कैविटी, दर्द और मसूड़ों की सूजन से भी राहत दिलाते हैं।
क्या कहते हैं आयुर्वेदिक और पारंपरिक उपाय?
1. नीम का दातुन
नीम एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। ताजी नीम की टहनी चबाने या दातुन करने से मुंह के कीटाणु कम होते हैं और मसूड़ों की सूजन से राहत मिलती है।
2. लौंग का तेल
दांत में दर्द और कैविटी की समस्या में लौंग का तेल बेहद फायदेमंद माना जाता है। एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण यह संक्रमण को रोकने और दर्द कम करने में मदद करता है। कई लोग दर्द की स्थिति में कच्ची लौंग भी चबाते हैं।
3. हल्दी और सरसों का तेल
हल्दी एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है। सरसों का तेल दांतों और मसूड़ों को मजबूत करता है। दोनों को मिलाकर मसूड़ों की हल्की मसाज करने से सूजन और दर्द में राहत मिल सकती है।
4. नमक के पानी से कुल्ला
गर्म पानी में नमक मिलाकर कुल्ला करने से मुंह के बैक्टीरिया कम होते हैं। यह कैविटी और मसूड़ों की सूजन को भी कम करने में मददगार माना जाता है।
5. लहसुन का पेस्ट
लहसुन प्राकृतिक रूप से एंटी-बैक्टीरियल होता है। इसे पीसकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर कैविटी वाली जगह लगाने से संक्रमण और दर्द से राहत मिल सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार ये घरेलू उपचार अस्थायी राहत देते हैं, लेकिन यदि दर्द या कैविटी बढ़ती जाए तो दंत चिकित्सक से जांच करवाना जरूरी है। दांतों की नियमित सफाई, सही खान-पान और समय-समय पर डेंटल चेक-अप से इन समस्याओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।













