कोरोना इफेक्ट से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान का अंदेशा

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उमेश यादव, बाराबंकी।  कोरोना इफेक्ट से देश की अर्थ व्यवस्था को भारी नुकसान का अंदेशा है।इसका परिणाम आने वाले कुछ समय बाद दिखाई पड़ेगा।आज जहां कोरोना के भय से लोग ट्रेनों के टिकट कैंसिल करवा रहे है वहीं बसों में भी यात्रियों की संख्या कम होती जा रही है।हवाई यात्राओं का तो बहुत बुरा हाल है उसमें भी यात्रियों की संख्या कम होने की चर्चा-ए आम है।बड़े-बड़े मार्केट सूने हो रहे है। कोरोना के डर से पर्यटन स्थलों पर लोगों की संख्या में भारी कमी देखने को मिल रही है। जिसका परिणाम यह है कि पर्यटन उद्योग चौपट होने की कगार पर पहुँच चुका है।अनाज की प्रतिपूर्ति करने वाला मीट व्यवसाय जिसकी बिक्री बहुत कम हो जाने से कारोबारी तो परेशान है ही, अनाज की खपत बढ़ जाएगी और अनाज का नया संकट भी आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है।सिर्फ इतना ही नही कोरोना का भय देश की अर्थव्यवस्था को हर प्रकार से डैमेज कर रहा है। जिसका असर आने वाले कुछ महीनों में दिखाई पड़ेगा कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना ने कितना डैमेज किया।

इस समय हर कोई कोरोना से बचाव का बस सुझाव ही दे रहा है कि बेवजह घरों से न निकलो,
सार्वजनिक जगहों पर न जाओ,यात्रा न करो, लोगों से न हाथ मिलाओ और न ही उनके नजदीक रहो।
स्वच्छता अपनाने की बात तो जरूरी है हर किसी को लेकिन यात्रा न करो सार्वजनिक जगहों पर न जाओ ऐसे संदेशों से तो तमाम लोगों के कारोबार ठप हो जायेंगे। स्कूल और कॉलेज बंद होने से छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
कोरोना की रोक थाम के मद्देनजर लखनऊ सहित कई शहरों में सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स ,क्लब्स डिस्को और तरणताल को 31 मार्च तक बंद करने के आदेश दे दिये। तमाम फिल्मों की शूटिंग और रिलीजिंग आगे के लिये टाल दी गयी है।इन व्यवसायों के बंद रहने से देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान होगा इसका अंदाजा भी कुछ दिनों बाद ही लग पाएगा।

मेडिकिट बनाने वाली कंपनियों के लिये कोरोना बना वरदान

मेडिकिट बनाने वाली कंपनियों और मेडिकल वालों के लिए तो कोरोना जैसे महोत्सव बनकर आया है।ऐसी महामारी में जहां विदेशी सरकारें फ्री में सेनेटाईजर और मास्क बांट रही है तो वहीं हमारे भारत में मास्क और सेनेटाईजर की कीमतों के दाम आसमान छू रहे है।सिर्फ कोरोना ही नहीं विश्वगुरु कहने वाले हमारे देश में हर प्राकृतिक आपदा कुछ लोगों के लिये जैसे वरदान बनकर आती है। इस आपदा काल में मास्क और सेनेटाइजर बनाने वाली कंपनियों व उसे बेचने वालों की बल्ले- बल्ले है।मार्केट में कोरोना से बचने के लिये तरह तरह के मास्क बनकर बिकने शुरू हो गए है।भय इतना कि लोग कोरोना से बचने के लिये अनावश्यक महंगे मास्क खरीद रहे है अपने बजट की परवाह किये बिना।तो वहीं दूसरी ओर पोस्टर लगाओ अभियान भी शुरू हो गया है। देश भर में कोरोना से बचाव के लिये पोस्टर लगाओ अभियान चलने शुरू हो गए है।प्रिंटिंग प्रेस वालों की तो मानो चांदी हो गयी है।कोरोना से बचाव वाले निर्देशों के पोस्टर लगाने के लिये बाकायदा सरकारी स्तर पर आदेश जारी किए जा चुके है।जानकारों की राय में
कोरोना की संभावना तो उन्हीं को हो सकती है, जो विदेश से आ रहे या जो विदेश से आये लोगों के संपर्क में है।बाकी आम इंसानों को इससे घबराने की कोई जरूरत नही है और न ही हर समय मास्क लगाए रहने की।हां स्वच्छता जरूरी है।आंख, मुँह और नाक पर बिना धुले हथेलियों का स्पर्श न करें।हाथों की धुलाई समय समय पर करते रहें।

कोरोना का कहर या दहशत का माहौल

कोरोना का कहर चीन से शुरू हुआ और पूरे विश्व में जिस तेजी से फैल रहा है, यह एक चिंता का विषय है।चीन में लाखों की आबादी इससे प्रभावित हुई है और पूरी अर्थ-व्यवस्था चरमरा गई है। लोगों को अलग–थलग कर इसके आगे न फैलने के इंतजाम किये जा रहे हैं। प्रभावित लोगों को अलग अलग उपचार केंद्र में रखा जा रहा है। कई शहर अलग कर दिए गए हैं। इसका प्रभाव वरिष्ठजनों पर अधिक पड़ रहा है।आज इटली दूसरा सबसे प्रभावित देश हो गया है।अमेरिका में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान और ईराक की बहुतायत संख्या इससे प्रभावित है।आज आस्ट्रेलिया में आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगले 15 दिनों तक न कोई किसी देश से आस्ट्रेलिया आ सकता है और नहीं कोई आस्ट्रेलिया से बाहर जा सकता है। ऐसे में, भारतवर्ष में जहाँ 80-90 लोगो को इससे प्रभावित होने की आशंका में उपचार केंद्रो में रोका गया है और जिनमें से 2 की अभी तक मृत्यु की सूचना अधिकारिक रूप से घोषित की गई है, जिनकी उम्र 62-76 वर्ष थी। परन्तु भारतवर्ष में, स्कूल और कॉलेजों को, कहीं–कहीं 31 मार्च 2020 तक और उत्तर-प्रदेश में प्रथम चरण में 22 मार्च 2020 तक बंद कर दिया गया है। आज जहां देश की अर्थ-व्यवस्था पहले से चरमराई हुई है, वहां पर बंदी जैसे इस माहौल में भारतवर्ष कितने पीछे जा सकता है, शायद अभी लोगों द्वारा इसका अनुमान नहीं लगाया जा सका है।


मेरा स्वयं का मानना है कि हमें दहशत के इस माहौल को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। हां, जो लोग विदेश से भारतवर्ष आ रहे हैं, उनके कोरोना प्रभावित होने की पुष्टि और प्रभावित पाए जाने की दशा में उनकी देख–रेख हेतु उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में रोकने व ठीक होने तक बने रहने की व्यवस्था आवश्यक होनी चाहिए। परन्तु जो भारतीय अपने देश में ही अपने कारोबार व नौकरी हेतु भ्रमण कर रहे है, उनमें पैदा हो रही दहशत को ख़तम करने की आवश्यकता है। कार्यालय, शिक्षण,संस्थाओं और व्यापार-स्थलों को प्रतिबंधित करना, देश में नहीं है बल्कि इसे दहशत पैदा करने की श्रेणी में रखा जाना चाहिए और अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचाने से कम नहीं आका जाना चाहिए। आज जरुरत है, कोरोना प्रभावित-देशों की मदद करने की, परन्तु अपने देश की चरमराई अर्थ-व्यवस्था की गम्भीरता को ध्यान में रखकर। एक तरफ, बाजार से धीरे-धीरे खाद्यान-सामाग्री भी अधिक दरों पर बिकने लगी है, सब्जियों का दाम बढ़ता जा रहा है, व्यापार ठप हो रहा है।वहीं दूसरी तरफ प्रकृति की मार किसानों पर पहाड़ बनकर टूट पड़ी है। आज जब आलू,सरसों और गेहूं आदि अन्न की फसलें तैयार होने के कगार पर थी, वहीं तूफानी बरसात और ओला-वृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ रखी है और ऐसी स्थिति अभी पूरे मार्च ही क्या, अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक बने रहने से नकारा नहीं जा सकता है।आज कोरोना से लड़ना है, परन्तु अफवाहों से दूर रहकर तथा प्राथमिक सावधानी को अपनाते हुए। वही वरिष्ठजनों को विशेष रूप से देख-भाल करने की भी आवश्यकता है।
डा. भरत राज सिंह,
महानिदेशक-तकनीकी
स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेस , लखनऊ।