साल के अंत तक बीजेपी शासित तीन राज्यों में चुनाव, क्या ऊंची जातियों के विरोध के बावजूद विपक्ष से पार पाएगी बीजेपी

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देश में साल के अंत तक जहां चार राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं 2019 के लोकसभा का चुनाव में भी अब कम ही महीने बचे हैं। ऐसे में पिछले कुछ महीनों से जातियों का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। देश में हर किसी को आरक्षण चाहिए। जहां मध्य प्रदेश में विभिन्न पार्टियों के नेताओं को अब सवर्ण यानी कथित ऊंची जातियों के संगठनों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। सवर्णों के विरोध की आग राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक भी पहुंच गई है।

एक तरफ ऊंची जातियों के संगठन सरकार द्वारा पारित एससी-एसटी विधेयक से खुश नहीं है। जिसके बाद कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया गया। हलांकि विधेयक को सियासी पार्टियों के समर्थन और आम राय से पारित किया गया था। लेकिन इन सड़को पर हो रहे विरोध का कही-न-कही चोरी-छिपे विपक्षी पार्टी भी समर्थन कर सरकार पर हमला बोलना चाह रहे हैं।

दरअसल, माना जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐक्ट कमजोर हो गया है। दलितों की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये संशोधन करके उसे पुराने स्वरूप में बहाल कर दिया था। लेकिन इस कवायद ने सवर्णों का नाराज कर दिया. इसी को लेकर सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया।

इसके एक दिन पहले भाजपा सांसद और पूर्व मंत्री कलराज मिश्र के बयान ने इस मुद्दे की तपिश बढ़ाते हुए कहा, ”एससी-एसटी ऐक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। मैं कानून के खिलाफ नहीं हूं लेकिन लोगों के अंदर असमानता का भाव पैदा हो रहा है। सभी दलों ने इसे दबाव देकर बनवाया था. सभी दल फीडबैक लेकर इसमें संशोधन कराएं।”

6 अगस्त के संशोधन ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को उलट दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने कानून लागू करने वाली एजेंसियों को दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार के आरोपी शख्स को जांच पूरी करने से पहले गिरफ्तार करने से रोक दिया था। अब ऐसे में  सवर्ण संगठनों का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल करके शिकायत करने वाले और पुलिस, दोनों उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं।

नाराजगी का आलम यह है कि सवर्णो के संगठन में नाराजगी इतनी बढ़ गई कि ये सड़क पर विरोध का रुप ले लिया। वहीं मध्यप्रदेश में जहां चुनाव सर पर है औऱ जिस सवर्णो के बदौलत बीजेपी सरकार में आयी थी, वहीं सवर्ण अब बीजेपी से बगावत कर बैठे हैं। प्रदेश में सवर्णों के द्वारा केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत का गुना के सर्किट हाउस में घेराव किया गया। उसी दिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह को मुरैना में विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा।

अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इन परिस्थितियों में आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष से पार पाएगी। जबकि ये विरोध इतना अधिक बढ़  गया है कि ऊंची जातियों के लोगों ने बीजेपी को आगामी चुनाव में इसका खमियाजा भुगतने की बात कह दी। तो ऐसे में आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इन जातियों को कैसे मना पाती है। या फिर चुनाव में इसका फायदा विपक्ष ले जाता है।