
आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को तेज कर दिया है। इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अब बिहार मॉडल पर पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनावी मोर्चा संभालने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार शाह इस महीने के अंत से अपने व्यापक चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे, जिसके तहत वे विभिन्न राज्यों में रैलियां, रणनीतिक बैठकें और संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे।
बीजेपी का मानना है कि अमित शाह के संगठनात्मक कौशल और चुनावी प्रबंधन में उनके अनुभव से पार्टी को मजबूती मिलेगी। खासतौर पर पश्चिम बंगाल में, जहां हाल के वर्षों में भाजपा का जनाधार बढ़ा है, शाह की सक्रियता को निर्णायक माना जा रहा है। उनके दौरे के दौरान उम्मीदवार चयन, बूथ प्रबंधन, सोशल इंजीनियरिंग और स्थानीय मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक अमित शाह का अभियान पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं रहेगा। वे ओडिशा, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी चुनावी समीकरण साधेंगे। इन राज्यों में वे पार्टी संगठन की जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे और कमजोर क्षेत्रों को मजबूत करने की रणनीति बनायेंगे।
अभियान के दौरान जनता से सीधे संवाद पर भी जोर दिया जाएगा। शाह की रैलियों और जनसभाओं के जरिए स्थानीय मतदाताओं तक संदेश पहुंचाने की योजना तैयार की गई है। पार्टी राष्ट्रीय मुद्दों के साथ क्षेत्रीय समस्याओं को भी अपने विमर्श में शामिल कर वोटरों से जुड़ाव बढ़ाने की कोशिश में है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शाह की बढ़ती सक्रियता से भाजपा के अभियान में नई ऊर्जा आएगी, हालांकि कई राज्यों में स्थानीय दलों की चुनौती भी पार्टी के सामने रहेगी। ऐसे में शाह की रणनीति और मैदानी कार्यक्रम चुनावी परिणामों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
पार्टी का विश्वास है कि महीने के अंत से शुरू होने वाला यह अभियान आने वाले महीनों में चुनावी माहौल को प्रभावित करेगा और भाजपा की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।













