राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया गेट पर अनन्त राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया गेट पर अनन्त जलने वाले अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल के साथ विलीन कर दिया गया है। अमर जवान ज्योति की लपटों वाली मशाल को ले जाया गया और एक पूर्ण सैन्य परंपरा के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया गया।
तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर अपना सिर झुकाते हैं और शहीदों का सम्मान करते हैं
तीनों सेनाओं के जवानों ने ज्वाला लेकर इंडिया गेट से वहां से कुछ मीटर दूर युद्ध स्मारक तक मार्च किया।चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने समारोह की अध्यक्षता की। अधिकारी ने पहले अमर जवान ज्योति और फिर युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। तीन उप प्रमुखों ने पूर्ण सैन्य परंपरा में उनका स्वागत किया।
तीनों सेनाओं के प्रमुख और आने वाले प्रतिनिधि अमर जवान ज्योति पर जाकर अपना सिर झुकाते थे और शहीदों का सम्मान करते रहे हैं। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे सभी महत्वपूर्ण दिनों में भी, तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।
पीएम मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया
प्रधानमंत्री ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। किए गए युद्ध स्मारक में ग्रेनाइट की गोलियों पर सुनहरे अक्षरों में 25,942 शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं जिनमें 1947-48 के पाकिस्तान के साथ युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिक संघर्ष तक के बहादुर शामिल हैं। अमर जवान ज्योति को सबसे पहले 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में शुरू किया गया था। तभी से यह ज्वाला अनन्त रूप से जल रही थी।
यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद से हमारे वीर सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान का प्रमाण है। स्मारक में एक शाश्वत ज्योति है जो किसी सैनिक द्वारा अपना कर्तव्य निभाते हुए किए गए सर्वोच्च बलिदान का उदाहरण है और इस प्रकार उसे अमर बनाती है। इसके उद्घाटन के बाद से राष्ट्रीय दिवस समेत सभी श्रद्धांजलि समारोह केवल राष्ट्रीय समर स्मारक पर आयोजित किए जा रहे हैं ।