‘Me too’ अभियान पर हाई कोर्ट के नए आदेश के बाद आसान नहीं होगा किसी को कलंकित करना!

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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब किसी भी व्यक्ति को हमेशा के लिए कलंकित करना आसान नहीं होगा। दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों जिनमें शिकायतकर्ता का नाम गुमनाम रहे, ऐसे मामलों में इसपर आधारित लेखों को लगातार प्रकाशित कर कैंपेन को भड़काने की कोशिश एक पुरुष की निजता का हनन है।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने एक मीडिया हाउस के मैनेजिंग डायरेक्टर के खिलाफ दोबारा आर्टिकल पब्लिश करने पर रोक लगाते हुए कहा, ‘मी टू’ कैम्पेन किसी को हमेशा कलंकित करने वाला कैम्पेन नहीं बन सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर एक ही आर्टिकल को बार-बार प्रकाशित करने की इजाजत दी जाती है, तो याचिकाकर्ता का अधिकार गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा।’

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मामले में आरोपी हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि उनके खिलाफ आर्टिकल को लगातार प्रकाशित किया गया। इस आधारहीन आरोप की वजह से उन्हें काफी टॉर्चर और दुख झेलना पड़ा। बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में हाईकोर्ट ने इस प्रकार के लेखों पर रोक लगा दिया था। रोक के बाद वेब पोर्टल ने दो आर्टिकल को हटा लिया था।

दरअसल, ‘मी टू’ कैम्पेन के तहत यौन उत्पीड़न को लेकर मिली शिकायत के आधार पर पिछले अक्टूबर में एक प्रतिष्ठित डिजिटल प्लैटफॉर्म ने दो स्टोरी पब्लिश की थी। जिन तीन महिलाओं ने इस व्यक्ति पर आरोप लगाए थे उनके नाम गुमनाम रहे।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि आरोप ‘मी टू’ कैंपेन के तहत लगाए गए थे और तीनों याचिकाकर्ता का नाम गुमनाम रहा था। प्रकाशक ने लेखों को हटाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा कि यदि उसी लेख को दोबारा प्रकाशित करने पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर इसे दोबारा प्रकाशित करने की इजाजत दी जाती है तो यह वादी के अधिकार का हनन है।

  • क्या है मी टू कैंपेन?

मीटू कैंपेन सबसे पहले अमेरिका में शुरू हुआ था। मी टू का मतलब है मैं भी या मेरे साथ भी। यह हैशटैग 2017 में अमेरिका में काफी ट्रेंड हुआ था। इस अभियान के तहत कई महिलाओं ने आरोप लगाए थे। इस अभियान के बाद कई प्रभावशाली लोगों की जिंदगी पलट गई थी।

  • भारत में कब शुरू हुआ?

भारत में मी टू कैंपेन की शुरुआत 25 दिसंबर 2018 को हुई। पहला आरोप नाना पाटेकर पर अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने लगाया था। जिसके बाद यह कैंपेन तेजी से वायरल हुआ। कई प्रभावशाली और नामचीन लोगों पर आरोप लगाए गए।

  • किन किन लोगों पर लगा आरोप?
  1. नाना पाटेकर –  बॉलीवुड एक्टर हैं। कई फिल्में जैसे क्रांतिवीर, तिरंगा, वेलकम, राजनीति जैसी फिल्मों में शानदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। पद्मश्री से सम्मानित हैं।
  2. आलोक नाथ- एक्टर हैं। ‘हम आपके हैं कौन’, ‘हम साथ-साथ हैं’, ‘जीत’ और ‘गांधी जैसी फिल्मों में काम किया। संस्कारी किरदारों के लिए जाने जाते हैं।
  3. एमजे अकबर- केंद्र सरकार में विदेश राज्यमंत्री और भाजपा से राज्यसभा सांसद। ‘दि संडे गार्जियन’, ‘इंडिया टुडे’, ‘दि टेलिग्राफ’ और ‘दि एशियन एज’ जैसे संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर पत्रकार रहे। कांग्रेस से भी सांसद रह चुके हैं।
  4. विकास बहल – डायरेक्टर, प्रड्यूसर और स्क्रीनराइटर हैं। ‘चिल्लर पार्टी’, ‘क्वीन’ और ‘शानदार’ जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं।
  5. पीयूष मिश्रा- रंगकर्मी, अभिनेता, गीत लेखक, गायक, स्क्रिप्ट राइटर और म्यूज़िक डायरेक्टर हैं। ‘मकबूल’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में एक्टिंग के लिए और ‘ब्लैक फ्राईडे’, ‘गुलाल’ में लिखे गानों के लिए जाने जाते हैं।
  6. सुभाष घई – डायरेक्टर, प्रड्यूसर और स्क्रीनराइटर हैं। ‘कालीचरन’, ‘विश्वनाथ’, ‘राम लखन’, ‘सौदागर’, ‘खलनायक’ और ‘ताल’ जैसी फिल्में डायरेक्ट करने के लिए जाने जाते हैं।
  7. रजत कपूर- एक्टर, डायरेक्टर और राइटर हैं। ‘मॉनसून वेडिंग’, ‘भेजा फ्राई’, ‘फंस गए रे ओबामा’, ‘कपूर ऐंड संस’ और ‘आंखों देखी’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
  8. वरुण ग्रोवर- स्टैंडअप कमीडियन, स्क्रीनराइटर और लिरिसिस्ट। 2015 में बेस्ट लिरिक्स के लिए नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं।
  9. साजिद खान- डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर हैं। ‘हे बेबी’, ‘हाउसफुल’ फ्रेंचाइज़ी और ‘हमशकल्स’ जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं।
  10. सुभाष कपूर- डायरेक्टर प्रड्यूसर और स्क्रीन राइटर हैं। पहले पत्रकार थे, फिर बाद में ‘फंस गए रे ओबामा’, ‘जॉली एलएलबी’ फ्रेंचाइज़ी डायरेक्टर करने के लिए जाने गए।
  11. कैलाश खेर- सिंगर और म्यूज़िक कंपोज़र हैं। कई भारतीय भाषाओं में गाने गा चुके हैं। चार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीत चुके हैं।
  12. चेतन भगत- IIT और IIM से पढ़े लेखक हैं। ‘फाइव पॉइंट समवन’, ‘3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ और ‘रिवॉल्यूशन 2020’ जैसे नॉवेल लिखे हैं। इनके लिखे पर ‘काई पो छे’ और ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ जैसी फिल्में बनी हैं।