लाजवर्त रत्न धारण करने से जीवन में राहु केतु शनि का प्रभाव शांत होता, तरक्की और उन्नति के मार्ग खुलते हैं!

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ज्योतिष के मुताबिक, लाजवर्त रत्न धारण करने से मानसिक शांति और आत्म-जागरूकता मिलती है, यह रत्न शनि का रत्न माना जाता है, लाजवर्त धारण करने से कई तरह के फ़ायदे होते हैं।

इस रत्न को धारण करने के लाभ- कहते हैं कि, लाजावर्त मणि को धारण करने से बल, बुद्धि एवं यश की वृद्धि होती ही है, माना जाता है कि, इसे विधिवत रूप से मंगलवार के दिन धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, सर्प आदि का भी भय नहीं रहता।

इसको धारण करने से राहु केतु शनि कि, शांत होकर शुभ फल प्रदान करते है।

लाजावर्त मणि या पत्‍थर तीनों क्रूर ग्रहों (शनि, राहु और केतु) के दोषों और कुप्रभावों को भी खत्म करता है। व्यक्ति घटना, दुर्घटनानों से बच जाता है, इससे सभी तरह का काला जादू और किया-कराया समाप्त हो जाता है, यह मणि पितृदोष को भी समाप्त कर देती है।

कहते हैं कि, इससे नौकरी या व्यवसाय में आ रही अड़चने भी दूर होती है। विद्यार्थियों के लिए यह आत्मविश्वास बढ़ाने वाला माना जाता है, इसको धारण करने से तनाव या अवसाद कम होता है।

मानसिक क्षमता का विकास होता है, नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता आती है।
करियर और कारोबार में तरक्की मिलती है।
आकस्मिक होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
गले, फेफड़ों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर होती हैं।
यह रत्न दुर्घटनाओं से बचाता है।
भाग्य का साथ मिलता है और धन आगमन के मार्ग खुलते हैं, यह रत्न शनि के अशुभ फलों को दूर करता है।
यह रत्न मंगल और सूर्य के शुभत्व में भी वृद्धि करता है, यह रत्न एलर्जी को दूर करता है।

लाजवर्त धारण करने का तरीका:–

लाजवर्त को चांदी की अंगूठी या लॉकेट में पहनना शुभ होता है, अगर उंगली में लाजवर्त धारण कर रहे हैं, तो इसे दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें, इस रत्न को शनिवार के दिन पहनना बहुत लाभकारी माना जाता है।

लाजवर्त कितनी रत्ती का पहने?

वहीं लाजवर्त को कम से कम सवा 8 से सवा 10 रत्ती का पहनना चाहिए।

लाजवर्त क्यों पहना जाता है?

माना जाता है कि इसे विधिवत रूप से मंगलवार के दिन धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, सर्प आदि का भी भय नहीं रहता। लाजवर्त मणि या पत्‍थर तीनों क्रूर ग्रहों (शनि, राहु और केतु) के दोषों और कुप्रभावों को भी खत्म करता है। व्यक्ति घटना, दुर्घटनानों से बच जाता है।

लाजवर्त रत्न धारण करने की विधिः–

लाजवर्त रत्न को शनिवार के दिन धारण करना चाहिए, इसे चांदी की अंगूठी या लॉकेट में बनवाकर पहनना चाहिए,इसे पहनने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे के लिए भिगोकर रखें, इसके बाद रत्न को किसी नीले रंग के वस्त्र पर रखें, अब ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र का 108 बार जाप करें और धूप-नैवेद्य आदि दें।

इसके पश्‍चात् आप इस रत्‍न को धारण कर सकते हैं, लाजवर्त रत्न धारण करने के बाद राहु- केतु और शनि ग्रह से संबंधित दान निकालकर किसी मंदिर में पुजारी को दे आएं।
लाजवर्त रत्न धारण करने के लाभः– शनि के अशुभ फलों को दूर करता है, दुर्घटनाओं से रक्षा करता है, नकारात्मकता को दूर करता है, भाग्य को चमकाता है, धन आगमन के मार्ग खोलता है।

लाजवर्त कितने दिनों में असर दिखाता है।

आमतौर पर, यह रत्न 3 से 7 दिनों के भीतर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है, लेकिन इसका पूर्ण प्रभाव 30 से 90 दिनों के बाद दिखाई दे सकता है। यह ध्यान रखें कि, रत्नों का असर व्यक्तिगत होता है और इसके परिणाम एक जैसे नहीं होते हैं।

लाजवर्त रत्न पहनने से कई तरह के रोगों में आराम मिलता है,इसमें कई औषधीय गुण होते हैं।

गुर्दे की पथरी और बीमारियों में आराम मिलता है, त्वचा रोगों में आराम मिलता है,सिरदर्द में आराम मिलता है.
पित्त के इलाज में मदद मिलती है,बच्चों की हड्डियों के सूखा रोग में आराम मिलता है,पीलिया और क्षय रोग में आराम मिलता है, हृदय की शक्ति बढ़ती है,बवासीर और पथरी रोग में आराम मिलता है, गले और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है, एवं मानसिक शांति मिलती है।

रत्नों की आयु कितनी होती है?

यदि आपने रन अपनी कोई मनोकामना पूर्ण होने के लिए पहना है, यह ग्रह को शांत करने के लिए पहना है तो, कार्य पूर्ण होने के बाद उसे गंगा में प्रवाहित कर दें या किसी जरूरतमंद को दान कर दें, ऐसा करने से रत्न पुनः जागृत हो जाएगा।

रत्नों की आयु अलग-अलग होती है, ज्योतिष के मुताबिक, कुछ समय बाद रत्नों का प्रभाव खत्म हो जाता है, इसके बाद इन्हें बदल देना चाहिए।

रत्नों की आयु:–

माणिक्य की उम्र 4 साल होती है, मूंगा की उम्र 3 साल होती है, पन्ना की उम्र 4 साल होती है, पुखराज की उम्र 4 साल होती है