बजरंग बाण; हर रोज क्यों नहीं पढ़ना चाहिए बजरंग बाण पाठ? जानें हनुमान जी की पूजा करने का सही तरीका

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क्या हर दिन बजरंग बाण पाठ किया जा सकता है? क्या हर किसी के लिए बजरंग बाण पाठ करना सही है? आइए बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से हनुमान जी की पूजा करने का सही तरीका जानते हैं। 

जीवन में कोई संकट आए या भूत-प्रेत का डर सताए, इन सबके लिए संकटमोचन हनुमान जी को हम सभी याद करते हैं। कष्टों के निवारण के लिए राम नाम के जाप के साथ बजरंग बली का पाठ करना हमारे लिए उत्तम होता है। पवन पुत्र हनुमान जी की खास पूजा-अर्चना मंगलवार और शनिवार के लिए दिन की जाती है। शारीरिक और आर्थिक कष्ट से मुक्ति के लिए आप राम भक्त हनुमान जी की चालीसा पढ़ते होंगे।

कुछ भक्त बजरंग बाण का पाठ भी करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर किसी के लिए बजरंग बाण पाठ करना सही नहीं होता है? हर रोज बजरंग बाण पाठ पढ़ना सही नहीं है या नहीं? हनुमान जी की पूजा किस तरह से करनी चाहिए? आइए इस पर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री क्या कहते हैं जान लेते हैं।

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार आप हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं लेकिन बजरंग बाण पाठ नहीं करना चाहिए। हर किसी के लिए बजरंग बाण पाठ करना फलदायी नहीं होता है। ये हनुमान जी की पूजा करने के तरीके में गलत माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा कर रहे हैं तो हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं। बजरंग बाण पाठ को हर दिन पढ़ना सही नहीं है।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार जब तक व्यक्ति के जीवन में दुखों का पहाड़ न टूट जाए या उन्हें मुसीबत न घेर ले तब तक व्यक्ति को बजरंग बाण पाठ नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बजरंग बाण पाठ के दौरान हनुमान जी को शपथ दी जाती है। “सत्य शपथ करुणा निधान की, ये मुद्रिका मातु मैं आनी, दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी” ये लाइन हनुमान जी को शपथ के तौर पर बोली जाती है। धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार अगर हमें किसी से प्रेम है तो उन्हें शपथ क्यों दी जाए।

अगर हद से ज्यादा जीवन में कष्ट, मुश्किलें या फिर एक साथ कई दुख आप पर हावी हो रहे हैं तो बजरंग बाण का पाठ कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि बजरंग बाण पाठ करना एक से दो बार सही है, बार-बार या हर दिन बजरंग बाण पाठ न करें।

हनुमान जी, सरल पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं वो चाहते हैं कि उनके नाम का जाप करने से पहले उनके प्रभु श्रीराम को याद किया जाए। आप एक बार को उनके नाम का जाप न करें लेकिन श्रीराम के नाम के जाप से ही आप हनुमान जी को जीत सकेंगे। वो आपकी पूजा राम जी के नाम के साथ ही स्वीकार कर लेंगे।