कई बार मेहनत और लगन के बावजूद बनते हुए काम रुक जाते हैं. ऐसे में मेहनत और विश्वास के साथ अगर आपको ज्योतिष शास्त्र की राह मिल जाए तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं.
परीक्षाओं का समय आ गया है. बच्चों के ऊपर पढ़ाई का प्रेशर है और इस वक्त कॉम्पटेटिव परीक्षाओं के लिए भी स्टूडेंट्स जोरदार मेहनत कर रहे हैं. कहते हैं कि जीवन में कैसी भी परीक्षा आ जाए, मेहनत और लगन पर हमेशा विश्वास करना चाहिए. लेकिन, इसके साथ-साथ अगर आप कुछ खास ज्योतिषीय उपाय करेंगे तो परीक्षा हॉल में आपका विश्वास मजबूत होगा और आपका एनर्जी लेवल भी काफी अच्छा होगा जिससे आपको परीक्षा पास करने के लिए खास फल और आशीर्वाद मिलेगा. तो चलिए जानते हैं कि मेहनत और लगन के साथ परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है.
रामचरित मानस की इस चौपाई से मिलेगा परीक्षा में लाभ
कई बार मेहनत और लगन के बावजूद बनते हुए काम रुक जाते हैं.परीक्षा में भी सफलता और असफलता के बीच यह छोटी सी लकीर होती है. ऐसे में मेहनत और विश्वास के साथ अगर आपको ईश्वर की बताई राह मिल जाए तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं. ज्योतिष में कहा गया है कि मेहनत से किए गए काम में अगर आपको असफलता मिल रही है तो हो सकता है कि आपको रामचरित मानस की शरण में जाना चाहिए. रामचरित मानस जीवन की कई कठिनाइयों का हल अपनी चौपाइयों में छिपाए हुए है. इसके सार में ही जीवन के कई फलसफे छिपे हैं. ऐसे में अगर आप परीक्षा में सफलता पाना चाह रहे हैं तो रामचरित मानस में लिखी कुछ चौपाइयों का पाठ करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है. इन चौपाइयों को सुबह के वक्त नहा धोकर एक चौकी पर भगवान राम की तस्वीर स्थापित करके सामने आसन बिछाएं और भगवान को तिलक करने के बाद अपने माथे पर चंदन का तिलक करें. अब आसन पर बैठ कर 108 बार सच्चे मन से इस मंत्र रूपी चौपाई का जाप करना चाहिए.
गुरु पर विश्वास होने से ही मिलेगी सफलता
इस चौपाई को इस तरह पढ़ना चाहिए –
‘गुरुग्रह गए पढ़न रघुराई, अल्प काल विद्या सब आई’
इस चौपाई का मतलब है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से अपने गुरु की शरण में जाता है, वो अल्प काल में ही सभी तरह की विद्या को प्राप्त करता है. इस चौपाई में गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है. इसका जाप करने से विद्या प्राप्त करने के रास्ते खुलते हैं और यथासंभव अच्छे परिणाम प्राप्त करने के योग बनते हैं. आपको बता दें कि रामचरित मानस में इस चौपाई के जरिए बताया गया है कि श्रीराम सच्चे मन से गुरु वशिष्ठ के पास विद्या ग्रहण करने गए और उसी प्रताप से उनको अल्प काल यानी कम ही समय में सारी विद्याएं प्राप्त हुईं.
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