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पान खाने के हैं शौकीन तो जान लें ये 5 चौंकाने वाले फायदे!

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पान के छोटे से हरे पत्ते में बेशुमार गुण (Health Benefits) छुपे हैं. बस आपको उसे खाने की आदत बिना किसी कत्थे, चूने या स्वाद के डालनी होगी. तब ही पान का ये पत्ता आपके काम का साबित हो सकेगा.

खाने के बाद आपको किस तरह का पान खाना पसंद है, मीठा पान, सादा पान या फिर मसाला पान. इस तरह के पान (Betel Leaf) को शौकिया खाने की जगह आप इस पत्ते को चबाने की नियमित आदत भी बना सकते हैं. चौंकिए नहीं हम किसी लत का शिकार होने की सलाह नहीं दे रहे. बल्कि इस सलाह को आजमा कर आप कुछ बीमारियों से राहत भी पा सकते हैं. पान के छोटे से हरे पत्ते में बेशुमार गुण (Health Benefits) छुपे हैं. बस आपको उसे खाने की आदत (Habit) बिना किसी कत्थे, चूने या स्वाद के डालनी होगी. तब ही पान का ये पत्ता आपके काम का साबित हो सकेगा. अब आपको बताते हैं कितनी राहत देने वाला होता है ये पत्ता.

हमारे सनातन धर्म में पूजन के समय भी पान के पत्ते समर्पित किए जाते हैं।एक समय था जब पान शिष्टाचार में शामिल हुआ करता था। घर आए अतिथि को पान उसी प्रकार से पेश किया जाता था जैसे अब चाय पेश की जाती है।

बड़े बड़े रहीसदार लोगों के नौकर उनका पानदान और पान की पीक थूकने के लिए पीकदान साथ साथ उठाए चलते थे।पान खाना शान की बात समझा जाता था।पानदान का एक और साथी होता था जिसका नाम सरौता था। इससे पान में डालने वालीं सुपारी कतरी जाती थी।

मगही पान बहुत प्रसिद्ध पान हुआ करता था। बनारसी पान की धाक भी कम न थी। पूरा मुहँ भर देने वाले गिलोरी पान की बात ही निराली थी।

पहले के समय में घर में कोई भी कार्यक्रम होता था तो पनवाडी को कार्यक्रम में दुकान लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता था।

पान लगाना और उसकी पुड़िया बनाना भी एक कला है हमसे उस तरह से कभी पुड़िया न बन सकी जिस तरह पान वाले पुड़िया बना लेते हैं।

जिस तरह से पान खाने वाले लोगों की तादाद अधिक थी उसी प्रकार से पान बेचने वाले लोगों की भी संख्या कम न थी।
जब तक पान में चूना, कत्था,सुपारी, मुलेथी,सौंफ, इलायची जैसी चीजें डालकर बनता था तब तक ठीक था लेकिन फिर इसमें तंबाकू का आगमन हो गया और फिर पान खाना बुरी आदत माना जाने लगा। लेकिन ये भी यदि ज्यादा खाया जाय तो दांत का रंग बदल देता है जैसे सरकारी दफ्तरों, इमारतों के कोने और दीवारों के रंग बदले रहते हैं।

आजकल तो जलती आग वाला पान चला है लगता है मानो पान नहीं खा रहे हैं बल्कि मुहँ में जलता हुआ अंगार रख रहे हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन के बाद पान चबाने से पाचन क्रिया आसान हो जाती है, क्योंकि यह पाचक रसों के स्राव को बढ़ाता है, पेट की सूजन को कम करता है, कब्ज से राहत देता है और आंतों के परजीवी को नष्ट करता है.

भोजन के बाद थोड़ी मात्रा में पान के पत्तों का पेस्ट चबाने से न केवल आंतों की सेहत बढ़ती है, बल्कि सांसों की दुर्गंध, मुंह की दुर्गंध से लड़ने के साथ-साथ दांतों के दर्द, मसूड़ों में दर्द, सूजन और मुंह के संक्रमण से भी राहत मिलती है.

पान का पत्ता किसे नहीं खाना चाहिए?
बहुत ज्यादा खाने से मुंह का कैंसर हो सकता है. इसको चबाने से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है. पान को चबाने के लिए मामूली नशे के रूप में भी जाना जाता है. मीठे पान के दुष्प्रभावों में से एक यह है कि यह आपके मसूड़ों में जलन पैदा कर सकता है और जब आप बहुत ज्यादा चबाते हैं तो आपके जबड़े सख्त हो सकते हैं.

काले घेरों पर

पान के पत्ते को बारीक पीसकर इसमें कुछ बूँदे नारियल के तेल की मिलाकर काले घेरों पर लगाएँ।

चाय की पत्ती को दूध में भिगोकर रातभर रखें। इन दोनों को अच्छे से मिलाकर डार्क सर्कल्स पर लगाएँ।

घुटनों और कोहनियों का कालापन मिटाने के लिए पाईनापल के गूदे को घुटनों और कोहनियों पर कुछ देर लगाने के बाद ठंडे पानी से धो लें।