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क्या आपको पता है मंदिर में घंटिया क्यों लगायी जाती हैं..? एक बार इसे अंत तक अवश्य पढ़े.

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भारत परम्परा और मान्यताओं का देश हैं और यहाँ आस्थाओं का केंद्र होता हैं मंदिर। भारत में छोटे-बड़े मंदिर मिलाकर कुल 600,000 मंदिर हैं। भारत की कई जगहों में ऐसी मान्यता हैं कि यदि किसी स्थान पर मंदिर नहीं हैं तो उस जगह लोग नहीं बसते हैं। हम सब अपनी-अपनी आस्था के अनुसार मंदिर जाते हैं।

लेकिन मंदिर जाते ही हम सब ने एक बात कभी ध्यान नहीं की वो यें कि मंदिर में लटकी घंटी या घंटा हम क्यों बजाते हैं?
मंदिर में घंटियाँ क्यों लगायी जाती हैं??

हिन्दू धर्म में कई सदियों से चली आ रही हर तरह की परम्पराएं यूँ ही बेवजह नहीं हैं। उन सब परम्पराओं के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य हैं। कभी वह कारण वैज्ञानिक होते हैं तो कभी वह कारण आध्यात्मिक। ऐसा ही कारण मंदिर में घंटियाँ साथ भी हैं।

हम सब ने एक बात अवश्य ध्यान दिया होगा कि मंदिर या कोई भी आस्था का केंद्र इतना शांत और शुद्ध वातावरण का होता हैं कि वहां जाने वाला हर व्यक्ति संसार की भौतिक समस्यों से कुछ समय के लिए दूर होकर शांत हो जाता हैं,

अपने मन के सभी विचारों को भूल कर कुछ देर के लिए वह समस्यों से मुक्त हो जाता हैं। हर व्यक्ति के मन को शांत करने और मंदिर के वातावरण को शुद्ध बनाये रखने में वहां लटके घंटे का भी बहुत योगदान होता हैं।

व्यवहारिक कारण…..

मंदिर में घंटियाँ लगी होती हैं। जो भी व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता हैं सबसे पहले घंटी बजाता हैं और उसके बाद ही पूजा-अर्चना शुरू करता हैं। भले ही आज के समय में मंदिरों प्रागण के चारों ओर बाड़ या दीवारें बनने लगी हैं लेकिन पुराने समय में ऐसा नहीं होता था,

जिसकी वजह से जानवर अकसर मंदिरों में घुस जाया करते थे। इसी समस्या से बचने के लिए मंदिरों में घंटो का इस्तेमाल किया जाने लगा क्योकि जानवर अक्सर घंटे की तेज़ आवाज़ से डरते हैं और मंदिर के में प्रवेश नहीं करते।

वैज्ञानिक कारण…..

घंटे से निकलने वाली तरंगें मानव मस्तिष्क के लिए अच्छी होती हैं। इसके पीछे एक विशेष कारण यह हैं कि मंदिर में लगने वाले घंटे लोहे और तांबे जैसी कई धातुओं से मिल कर बने होते हैं।

धातुओं से मिलकर बनी इन घंटियों को जब भी कोई बजाता हैं तो इससे जो तंरगे निकलती हैं वह व्यक्ति के अंदर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करती हैं और सकारात्मक उर्जा का संचार करती हैं, जिससे व्यक्ति का मन शांत हो जाता हैं।

इन दोनों कारणों के अतिरिक्त आस्था भी एक कारण हैं जिससे लोगों को यकीन हो जाता हैं कि घंटे की आवाज़ से हमने अपनी बात उस असीम सत्ता तक पंहुचा दी हैं जो हमारी समस्याओं का समाधान अवश्य करेगा।

लेकिन यह सब आपके विश्वास पर निर्भर करता हैं कि आप आस्तिक हैं या नास्तिक पर व्यक्ति चाहे नास्तिक हो यह आस्तिक मन की शांति तो हर किसी को चाहियें।