हर अखाड़े और जिम में हनुमान जी की तस्वीर क्यों होती हैं?

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शक्ति की बात हो और बजरंग बली का नाम न आए, ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन क्या सिर्फ ताक़त की वजह से हनुमान जी हर पहलवान के पूज्य हैं?
इसका जवाब थोड़ा गहरा है। हनुमान जी दो महान गुणों के प्रतीक हैं – शक्ति (Power) और भक्ति/लगन (Dedication Commitment) और ये दोनों ऐसे जुड़े हैं जैसे आत्मा और शरीर – एक के बिना दूसरा अधूरा। उनकी शक्ति, उनकी भक्ति का ही प्रतिबिंब थी।

जितनी शुद्ध उनकी भक्ति थी, उतनी ही अद्भुत उनकी शक्ति।अब बात करते हैं “शक्ति” की।
शक्ति सिर्फ शारीरिक ताकत नहीं होती। बल तो एक रिक्शा-चालक में भी होता है, पर “शक्ति” तब प्रकट होती है जब इंसान अपने सीमित बल से आगे जाकर कुछ कर दिखाता है।
शक्ति = ताकत + लगन + आत्मबोध + आत्मनियंत्रण
और जब ये गुण मिलते हैं, तब बनता है एक सच्चा “शक्तिशाली” इंसान – जैसे हनुमान जी। अब बात “भक्ति” की। भक्ति यानी केवल पूजा नहीं,
बल्कि संपूर्ण समर्पण, अनुशासन, और अपने उद्देश्य में एकाग्रता।

हनुमान जी की भक्ति “प्रेम और सेवा” का प्रतीक थी –स्वार्थहीन, शुद्ध और समर्पित। इसी भक्ति को खिलाड़ी अपने जीवन में अपनाते हैं।
हर दिन – खाने से लेकर कसरत तक,हनुमान की छवि उनके मन में रहती है। वो प्रतीक बन जाते हैं फोकस, अनुशासन और आत्मबल के।

और यही भक्ति, गुरु-चेला परंपरा में भी दिखाई देती है। अखाड़ों में गुरु का स्थान राम जैसा होता है, और शिष्य खुद को हनुमान की तरह समर्पित करता है।
तो क्या केवल पहलवान ही हनुमान जी से प्रेरणा ले सकते हैं? नहीं। कोई भी व्यक्ति अगर उनकी शक्ति और भक्ति को अपनाए,तो वह अपने जीवन को सफल बना सकता है।